चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी की कमी, कैसे लड़ी जाएगी तीसरी लहर से जंग

समस्तीपुर। कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग तैयारी में लगा है लेकिन चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी आड़े आ रही है। जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में चिकित्सकों का 405 रिक्त पद पर मात्र 186 चिकित्सकों की तैनाती है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 11:36 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 11:36 PM (IST)
चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी की कमी, कैसे लड़ी जाएगी तीसरी लहर से जंग
चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी की कमी, कैसे लड़ी जाएगी तीसरी लहर से जंग

समस्तीपुर। कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग तैयारी में लगा है, लेकिन चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी आड़े आ रही है। जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में चिकित्सकों का 405 रिक्त पद पर मात्र 186 चिकित्सकों की तैनाती है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्थिति क्या होगी। यहीं हाल स्वास्थ्य कर्मियों की भी है। इतने कम संख्या में पदस्थापित चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी के भरोसे स्वास्थ्य विभाग संभावित कोरोना की तीसरी लहर से कैसे लड़ेगा यह समय ही बताएगा। मालूम हो कि वर्तमान में जिले की जनसंख्या 24 लाख के करीब है। फिर भी स्वास्थ्य विभाग के द्वारा चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों के स्वीकृत पद को बढ़ाया नहीं गया है। जिले की वर्तमान जनसंख्या के अनुपात में स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों का काफी कम पद स्वीकृत है। यद्यपि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए कम संसाधन के बावजूद स्वास्थ्य प्रशासन अभी से तैयारी में जुट गया है। बच्चों को सुरक्षित करने के लिए दुरुस्त हो रही व्यवस्था

जिले में बच्चों को सुरक्षित करने के लिए व्यवस्था दुरुस्त की जा रही है। लेकिन बच्चों के चिकित्सक की भी जिले में घोर कमी है। गौरतलब है कि जिले के अधिकांश गंभीर मरीजों को जिले से बाहर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता था। अगर तीसरी लहर में बच्चे संक्रमित होते है तो एक बड़ा प्रश्न है कि क्या तब स्वास्थ्य विभाग द्वारा नौनिहालों को रेफर का पर्चा थमा दिया जाएगा। क्या बच्चें खुद को इतनी देर सुरक्षित रख पाएंगे। बहरहाल स्वास्थ्य विभाग इन आशंकाओं को सिरे से खारिज करता है। बच्चों के चिकित्सकों की संख्या भी कम

जिले में बच्चों की आबादी लगभग चार लाख से अधिक है। इनके इलाज के लिए जिले में शिशु रोग विशेषज्ञ की भी कमी है। इस समस्या की जानकारी से स्वास्थ्य विभाग भी अवगत है। सरकार द्वारा चिकित्सक की बहाली की प्रक्रिया चल रही है। उम्मीद है कि तीसरी लहर से पूर्व ही जिले को शिशु रोग विशेषज्ञ उपलब्ध करा दिए जाएंगे। कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए विशेषज्ञ इसे बच्चों के लिए खतरनाक बता रहे हैं। बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए अभी से सजग रहने की जरूरत है। बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने को रोडमैप तैयार किया जा रहा है। कोरोना की तीसरी लहर बच्चों पर ज्यादा प्रभाव डाल सकती है। विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर संक्रमण का ज्यादा खतरा बताया है। आशंका जताई जा रही है कि प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण बच्चे तीसरी लहर में कोरोना संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। दूसरी लहर में ऑक्सीजन समेत अन्य संसाधनों दुरुस्त करने के साथ-साथ बच्चों के इलाज के लिए अभी से तैयारी पूरी की जा रही है।

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