रैपिड एंटीजन किट की कमी से सैंपलिग की प्रक्रिया लड़खड़ाई

कोविड-19 कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने से लोग जरा भी लक्षण दिखने पर सैंपल जांच कराने पहुंच रहे हैं। इसलिए टेस्टिग सेंटर में भीड़ लगने लगी है पर राज्य सरकार की ओर से रैपिड एंटीजन किट की पर्याप्त सप्लाई नहीं किए जाने से सैंपलिग की प्रक्रिया लड़खड़ा गई है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 11:29 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 11:29 PM (IST)
रैपिड एंटीजन किट की कमी से सैंपलिग की प्रक्रिया लड़खड़ाई
रैपिड एंटीजन किट की कमी से सैंपलिग की प्रक्रिया लड़खड़ाई

समस्तीपुर । कोविड-19 कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने से लोग जरा भी लक्षण दिखने पर सैंपल जांच कराने पहुंच रहे हैं। इसलिए टेस्टिग सेंटर में भीड़ लगने लगी है पर राज्य सरकार की ओर से रैपिड एंटीजन किट की पर्याप्त सप्लाई नहीं किए जाने से सैंपलिग की प्रक्रिया लड़खड़ा गई है। ज्यादातर केंद्रों में रैपिड एंटीजन सैंपलिग की बजाए आरटी-पीसीआर और ट्रूनेट सैंपल लेकर जांच की जा रही है पर कई लोग यह सैंपल देने से कतरा रहे हैं, क्योंकि इनकी रिपोर्ट देर से आती है। ऐसे में लोगों को रिपोर्ट के इंतजार में पेनिक होना पड़ जाता है। आरटी-पीसीआर और ट्रूनेट सैंपलिग अधिक होने की वजह से लैब का वर्क लोड बढ़ गया है। संक्रमण का दायरा बढ़ने की वजह से सैंपलिग की संख्या बढ़ानी जरूरी है।

जिले में रैपिड एंटीजन किट से जांच की रफ्तार धीमी है। इसके पीछे किट की कमी कारण बताया गया है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि रैपिड एंटीजन किट की कमी नहीं है और नियमित सैंपल टेस्टिग की जा रही है। कोरोना की दूसरी लहर शुरू होते ही शुरुआती दिनों में प्रत्येक दिन चार हजार से अधिक लोगों को सैंपल टेस्ट होता था। लेकिन, पिछले 15 दिनों से 2000 के आसपास ही लोगों को सैंपल लेकर जांच की जा रही है। पहले पंचायत स्तर पर कैंप लगाकर सैंपल टेस्ट किए जाते थे। लेकिन, इस बार अस्पताल स्तर पर ही जांच हो रही है। जांच कम होने के कारण कोरोना संक्रमित कम मिल रहे हैं। इससे इसका प्रसार बढ़ने की संभावना दिख रही है। टार्गेट फुल होने के बाद मरीजों की नहीं होती जांच

कोरोना संक्रमण का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की प्रशासनिक कुव्यवस्था की वजह से सदर अस्पताल में ही टार्गेट से अधिक लोगों का जांच नहीं किया जाता है। टार्गेट से अधिक होने पर उन्हें अगले दिन आने की बात कही जाती है। ऐसे में संक्रमित मरीज बिना जांच कराए ही दो से तीन दिनों तक भटकता रहता है। साथ ही कई लोगों के संपर्क में भी आ जाता है। ऐसे में प्रशासनिक स्तर पर जांच दल बढ़ाने के बजाए जांच कराने आने वाले लोगों को ही वापस लौटा दिया जाता है। हालांकि जिनमें लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं, ऐसे मरीजों को तो आरटी-पीसीआर और ट्रू नॉट की सैंपलिग देनी ही पड़ रही, क्योंकि रिपोर्ट देखे बगैर ऐसे मरीजों को कहीं भर्ती नहीं लिया जाएगा। रैपिड एंटीजन किट का अभाव होने से कई लोग बिना जांच कराए ही लौट रहे हैं। कम संख्या में लोगों की हो रही जांच

जिले में रैपिड एंटीजन किट की कमी के कारण जांच कम हो रही है। रोजाना औसत 1500 से 1600 लोगों का सैंपल से रैपिड एंटीजन किट से टेस्ट किया जा रहा है। जिले के सभी प्रखंडों में प्रतिदिन रैपिड एंटीजन किट से मरीजों की जांच करने का लक्ष्य दिया गया है। लेकिन, सभी अस्पतालों में लक्ष्य के अनुरूप जांच नहीं हो रही है। बीमार व्यक्ति तोड़ रहे हैं दम

सांस फूलने, सर्दी, खांसी, बुखार से अब तक दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन, इस मौत की पुष्टि स्वास्थ्य विभाग नहीं कर रहा है। ऐसी मौत जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में हो रही है। कुछ लोगों की मौत दूसरे जिले के अस्पतालों में तो कुछ की घर पर और कुछ की इलाज के दौरान हुई है। अगर मरीज जांच कराते या जांच टीम पंचायत स्तर पर शिविर लगाकर जांच करती तो केस पकड़ में आता और समय पर इलाज होने पर जान बचने की संभावना बढ़ जाती। दिनांक जांच की संख्या

01 अप्रैल 2282

02 अप्रैल 2498

03 अप्रैल 2074

04 अप्रैल 2202

05 अप्रैल 5437

06 अप्रैल 4518

07 अप्रैल 4273

08 अप्रैल 4347

09 अप्रैल 4073

10 अप्रैल 4014

11 अप्रैल 3969

12 अप्रैल 3975

13 अप्रैल 3911

14 अप्रैल 4048

15 अप्रैल 4072

16 अप्रैल 4122

17 अप्रैल 4073

18 अप्रैल 3737

19 अप्रैल 3864

20 अप्रैल 3258

21 अप्रैल 3314

22 अप्रैल 3149

23 अप्रैल 2656

24 अप्रैल 1957

25 अप्रैल 1602

26 अप्रैल 2208

27 अप्रैल 2308

28 अप्रैल 2599

29 अप्रैल 2592

30 अप्रैल 2016

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