रामराज में रामसेवक की मौत, सुशासन पर उठ रहे सवाल
समस्तीपुर। बिहार में सुशासन का दावा पूरी तरह विफल है। सुशासन के नाम पर पुलिस की गुंडागर्दी है। अपराधियों और पुलिस की मिलीभगत है।
समस्तीपुर। बिहार में सुशासन का दावा पूरी तरह विफल है। सुशासन के नाम पर पुलिस की गुंडागर्दी है। अपराधियों और पुलिस की मिलीभगत है। सुशासन की सरकार, नौकरशाही और पुलिस मिलकर गरीबों पर अत्याचार कर रही है। उक्त बातें भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कही। वे रविवार को संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दावा करते हैं कि बिहार में सुशासन है। यहां रामराज चल रहा है। लेकिन बकाया पारिश्रमिक मांगने पर सफाई कर्मी रामसेवक की पिटाई की जाती है। मजदूरी मांगने पर सफाई कर्मचारी की हत्या की जाती है। ऐसी घटनाएं सुशासन के दावे को खोखला साबित करती है। हर जगह गरीबों पर हमले किए जा रहे हैं। जिस तरह उत्तरप्रदेश में दलित की बेटी का शव पुलिस ने पेट्रोल छिड़कर जला दिया। उसी तरह रोसड़ा में रामसेवक राम के परिवार को अलग रखते हुए पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया। इस घटना को लेकर जो लोग प्रदर्शन कर रहे थे। उन्हीं पर मुकदमा भी किया गया। प्रदर्शन मे मृतक रामसेवक राम की पत्नी, उनके बच्चे, बहु को नामजद किया गया। कई पत्रकार और दर्जनों अज्ञात लोगों को इस मुकदमे में फंसाया गया। इस मामले में डीएसपी की भूमिका संदिग्ध और कार्यपालक अधिकारी की भूमिका आपत्तिजनक है। वार्ड 5 के पार्षद की भूमिका भी आपत्तिजनक है। जो लोग हत्या के दोषी हैं उनको सजा मिलनी चाहिए। रामसेवक राम को न्याय मिले। मामले में उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है। राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि किसान आंदोलन में बड़ी जीत हुई है। तीन कृषि कानून मोदी सरकार को वापस लेना पड़ा। इसका खास संदेश नीतीश जी के लिए है। क्योंकि सबसे पहले नीतीश जी ने ही दावा किया था कि जो कृषि कानून 2021 में मोदी सरकार लागू किया। नीतिश जी ने 2006 में यहां लागू कर दिया था। आंदोलन के दौरान पंजाब के किसानों ने नारा दिया था कि पंजाब को बिहार नहीं बनने देंगे। बिहार के किसानों की आमदनी सबसे कम है देश में।