पौधारोपण कर पर्यावरण की रक्षा के साथ बना रहे बेहतर भविष्य

पौधारोपण को आज लोगों ने पर्यावरण के साथ-साथ अपने भविष्य व अगली पीढ़ी की समृद्धि से भी जोड़ दिया है। यही कारण है कि बीते एक दशक में यह एक अभियान का रूप लिया है। भले ही पर्यावरण संरक्षण के नाम पर लोग पौधारोपण करते हैं लेकिन उनके अंदर उस वृक्ष के सहारे भविष्य को सहेजने की कामना अवश्य रहती है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Jul 2020 12:44 AM (IST) Updated:Fri, 03 Jul 2020 06:13 AM (IST)
पौधारोपण कर पर्यावरण की रक्षा के साथ बना रहे बेहतर भविष्य
पौधारोपण कर पर्यावरण की रक्षा के साथ बना रहे बेहतर भविष्य

समस्तीपुर । पौधारोपण को आज लोगों ने पर्यावरण के साथ-साथ अपने भविष्य व अगली पीढ़ी की समृद्धि से भी जोड़ दिया है। यही कारण है कि बीते एक दशक में यह एक अभियान का रूप लिया है। भले ही पर्यावरण संरक्षण के नाम पर लोग पौधारोपण करते हैं, लेकिन उनके अंदर उस वृक्ष के सहारे भविष्य को सहेजने की कामना अवश्य रहती है। शहर से गांव तक धीरे- धीरे पेड़ पौधों की संख्या बढ़ने लगी है। अधिकांश लोगों ने अपने हाथों पौधा अवश्य लगाया है। किसी ने एक-दो तो किसी ने अपने जीवन में सैकड़ों पौधे लगाए हैं। ऐसे लोगों की संख्या कम है, जिन्होंने आज तक एक भी पेड़ ना लगाया हो। क्षेत्र के कई समाजसेवी आज भी पर्यावरण संरक्षण का बैनर थामे लोगों को पौधरोपण पर जोर दे रहे हैं। वही कई भाग्यशाली को उनके पूर्वजों द्वारा लगाए गए बगीचा से समृद्धि का द्वार खुला है। वर्षों से पर्यावरण संरक्षण का जिम्मा थामें डॉ गौरीशंकर प्रसाद सिंह पौधों को बहुउपयोगी बताते हुए अपने बच्चों की तरह सहेजने की शिक्षा देते हैं। उन्होंने कहा जिस तरह बुजुर्ग होने पर बच्चे अपने माता-पिता की सेवा करते हैं। उसी प्रकार पेड़ पौधे भी विभिन्न रूपों में लोगों की सेवा देते हैं। जिसमें मुख्य प्राणवायु व पर्यावरण संतुलन के साथ-साथ आमदनी का भी जरिया बनते है। यूआर कॉलेज रोसड़ा के वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष से सेवानिवृत्ति के बाद अभियान में जुटे डॉक्टर सिंह की मानें तो अब तक कॉलेज परिसर व अपने गांव एवं विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर 763 पौधा लगा चुके हैं। जिसमें फलदार पेड़ों के अलावा पीपल, नीम, शीशम, महोगनी तथा सागवान आदि शामिल है। उन्होंने पौधरोपण के साथ साथ उसकी सुरक्षा को आवश्यक बताते हुए कहा कि उचित देखभाल नहीं करने के कारण 25 प्रतिशत से अधिक पौधा बर्बाद हो रहे हैं।

वही पूर्वजों द्वारा लगाए गए पेड़ की उपयोगिता बताते हुए शिक्षाविद पांचोंपुर निवासी विकेश कुशवाहा ने दादाजी एवं पिताजी के द्वारा लगाए गए शीशम के पेड़ को बहु उपयोगी बताया है। अपनी आयु पूरा कर चुके इन पेड़ों से कई प्रकार का फर्नीचर बनाने तथा गृह निर्माण के उपयोग में लाने की बात कही। जिससे लाखों रुपए की बचत हुआ। उन्होंने भी अब तक तीन सौ से अधिक पौधा लगाने का दावा किया है। जबकि सेल्फी विथ ट्री अभियान के तहत पौधारोपण कर रहे ढ़ट्ठा निवासी राजेश कुमार सुमन अब तक हजारों पौधे लगा चुके हैं। लगातार अभियान के साथ लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। शहर से गांव तक की गई समीक्षा पर नजर डालें तो 60 प्रतिशत से अधिक लोगों ने पौधारोपण अवश्य किया है। भले ही वह पौधा बड़ा होने से पूर्व ही उचित देखरेख के अभाव में सूख गया हो। लेकिन आज भी ऐसे लोग हैं जिन्होंने एक भी पेड़ नहीं लगाया है। ऐसे लोगों में शामिल गरीबों को पौधारोपण के लिए उचित जमीन का नहीं होना सामने आया वही सक्षम लोगों में उनकी उदासीनता ही आड़े आ रही है।

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