सुबह से ही शुरू हो जाती है ऑक्सीजन मैन की दिनचर्या

ोसड़ा में वर्षो से लोगों को प्राणवायु के लिए पौधारोपण करने का संदेश दे रहे राजेश सुमन को अब लोग ऑक्सीजन मैन के नाम से भी जानने लगे हैं। सुबह से ही प्रारंभ हो जाती है राजेश की दिनचर्या।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 12:13 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 12:13 AM (IST)
सुबह से ही शुरू हो जाती है ऑक्सीजन मैन की दिनचर्या
सुबह से ही शुरू हो जाती है ऑक्सीजन मैन की दिनचर्या

समस्तीपुर । रोसड़ा में वर्षो से लोगों को प्राणवायु के लिए पौधारोपण करने का संदेश दे रहे राजेश सुमन को अब लोग ऑक्सीजन मैन के नाम से भी जानने लगे हैं। सुबह से ही प्रारंभ हो जाती है राजेश की दिनचर्या। प्लास्टिक के डिब्बे में बंद पौधे को पीठ पर लादे और उससे निकलते पाइप युक्त मास्क अपने चेहरे पर लगाएं ऑक्सीजन मैन घर-घर घूम कर लोगों को ऑक्सीजन सहेजने और बनाने का संदेश दे रहे हैं। वे आगे में -सांसे हो रही कम, आओ पेड़ लगाएँ हम, लिखित तख्ती लटकाए ऑक्सीजन अधिक से अधिक उत्सर्जित करने वाले पौधों के संबंध में आम लोगों को भी जानकारी देते हैं। साथ ही सभी को अपने- अपने घरों में तुलसी, नीम, मनी प्लांट आदि का पौधा लगाने की सलाह देते हैं। वही खुले स्थानों पर पीपल, बड़गद, अर्जुन एवं अशोक का पेड़ लगाने पर बल देते हुए इन पौधों द्वारा ऑक्सीजन का उत्सर्जन अधिक होना बताते हैं। इन दिनों कोरोना संक्रमण के कारण ऑक्सीजन की हो रही कमी को दर्शाते हुए सभी को अपने साथ-साथ आगामी पीढ़ी के भविष्य को ले पौधरोपण करने पर बल दे रहे हैं। कोरोना काल में भी बगैर रुके ट्रीमैन सह ऑक्सीजनमैन राजेश निरंतर अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर हैं। किसी भी शादी समारोह हो या श्राद्ध कार्यक्रम की जानकारी मिलते ही वहां पहुंचकर वर- वधु को पौधा रूपी गिफ्ट देना और श्राद्ध कर्म में मृतक के नाम पर पौधारोपण करना इनके नियमित जिदगी में शामिल हो गया है। इस संबंध में पूछे जाने पर श्री सुमन ने वर्ष 2015 से पौधारोपण अभियान प्रारंभ करना तथा 2019 के 26 जनवरी से ऑक्सीजन रूपी प्राणवायु के लिए पौधारोपण अभियान चलाना बताते हुए अब तक एक लाख से अधिक पौधा लगाने का दावा किया। अपने द्वारा चलाए गए जन जागरण अभियान का असर क्षेत्र के कई गांव में दिखना बताते हुए कहा कि वहां के युवा इस कार्यक्रम से जुड़ चुके हैं। भविष्य में संपूर्ण क्षेत्र में अधिक से अधिक पौधारोपण का दावा करते हुए उनका मानना है कि यह अभियान अपने मुकाम पर निश्चित पहुंचेगा और उस वक्त लोगों को ऑक्सीजन की कमी महसूस नहीं होगी।

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