निजी एंबुलेंस पर अंकुश के लिए कोई नियम-कायदे नहीं
जिले में निजी एंबुलेंस संचालकों पर अंकुश रखने के लिए कोई रेगुलेशन नहीं है।
समस्तीपुर । जिले में निजी एंबुलेंस संचालकों पर अंकुश रखने के लिए कोई रेगुलेशन नहीं है। कोई नियम न रहने का बेजा लाभ किराया से लेकर अन्य मामला में उठाया जा रहा है। मरीजों को इससे काफी परेशानी होती है। इसमें टेक्नीशियन की उपलब्धता भी नहीं रहती है। जिससे रास्ते में मरीज की स्थिति बिगड़ने पर ड्राइवर के भरोसे ही रहते है। स्वास्थ्य प्रशासन को तो यह यह भी पता नहीं है कि जिले में कितनी निजी एंबुलेंस चल रही है। सरकारी एंबुलेंस का किराया 10 रुपये प्रति किलोमीटर है, जबकि निजी वाले मनमाफिक किराया तय करते है। सरकारी व्यवस्था की परेशानी यह है कि रोजाना एंबुलेंस खराब ही रहती है। स्वास्थ्य महकमे ने जिले के आधा दर्ज से अधिक एंबुलेंस का रद्दीकरण कर दिया है। अधिकतर एंबुलेंस पुरानी हो चुकी है। कभी-कभी ये रास्ते में ही खराब हो जाती है, जिसके चलते मरीजों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। सरकारी एंबुलेंस जिले में कहीं से भी मरीज को अस्पताल पहुंचा सकती है।
जिले में एंबुलेंस की उपलब्धता तो मानक के अनुसार ही है। मानक है कि एक लाख की आबादी पर एक एंबुलेंस रहनी चाहिए। सरकारी स्तर पर दो श्रेणियों की एंबुलेंस सुविधा अभी मिल रही है। एक है बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम और दूसरा क्रिटिकल लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस। सात एंबुलेंस को किया रदीकरण
जिले की सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों से संचालित एंबुलेंस का मोटर यान निरीक्षक ने जांच किया था। जांच के उपरांत सात एंबुलेंस का रद्दीकरण करने की रिपोर्ट दी। इस आधार पर जिलाधिकारी ने राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक को रद्दीकरण किए गए एंबुलेंस के स्थान पर नया एंबुलेंस उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा है। ताकि आम नागरिकों को एंबुलेंस मुहैया कराने में कठिनाई का सामना नहीं करना पड़े। इसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उजियारपुर, कल्याणपुर, हसनपुर, विद्यापतिनगर, सिघिया, सरायरंजन और शिवाजीनगर के एक-एक एंबुलेंस का रद्दीकरण किया गया है। इनके लिए निश्शुल्क एंबुलेंस
कालाजार रोगी, वरिष्ठ नागरिक, दुर्घटनाग्रस्त मरीजों के लिए प्रथम परिवहन, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत रेफर बच्चे, बीपीएल परिवार, गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए घर से अस्पताल तक लाना व फिर घर पहुंचाना, सभी बीमार नवजात के लिए। 10 रुपये प्रति किलोमीटर की दर पर उपलब्ध है सरकारी अस्पताल
सरकारी एंबुलेंस 10 रुपये प्रति किलोमीटर की दर पर उपलब्ध है। इस पर नियंत्रण रखने के लिए मुख्यालय स्तर पर एक सेल बना हुआ है। सरकारी एंबुलेंस के लिए नियम है कि वे एक तरफ का ही किराया लेगी, जबकि निजी वाले दोनों तरफ का लेते है। सरकारी एंबुलेंस को हिदायत है कि वह मरीज को सरकारी अस्पताल में ही ले जाएंगे। निबंधन भी एंबुलेंस के रूप में नहीं
निजी एंबुलेंस की निगरानी के लिए अभी तक राज्य में कोई रेगुलेशन नहीं है। नियम है कि कंपनी मेड एंबुलेंस का उपयोग ही करना है, लेकिन बहुत कम संख्या में ही निजी एंबुलेंस कंपनी मेड है। निजी एंबुलेंस का निबंधन भी एंबुलेंस के रूप में नहीं है। राजस्व का नुकसान भी अलग से है। जिले में कितनी निजी एंबुलेंस है, इसकी जानकारी नहीं है। किराया भी तय नहीं है। वर्जन
मरीजों की सुविधा के लिए सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में एंबुलेंस की सुविधा है। सरकारी एंबुलेंस की सुविधा के लिए टॉल फ्री नंबर 102 पर कॉल कर सुविधा ली जा सकती है।
डॉ. अमरेंद्र नारायण शाही,
उपाधीक्षक, सदर अस्पताल, समस्तीपुर।