अब पुरनिया पोखर नहीं, जल-जीवन-हरियाली उद्यान
ताजपुर प्रखंड स्थित रामापुर महेशपुर का जल-जीवन-हरियाली उद्यान गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आम लोगों के हित में अर्पित कर दिया। 10 एकड़ 10 डिसमिल में फैले उद्यान के बीच में पोखर का क्षेत्रफल चार एकड़ है।
समस्तीपुर । ताजपुर प्रखंड स्थित रामापुर महेशपुर का जल-जीवन-हरियाली उद्यान गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आम लोगों के हित में अर्पित कर दिया। 10 एकड़, 10 डिसमिल में फैले उद्यान के बीच में पोखर का क्षेत्रफल चार एकड़ है। यह उद्यान आम लोगों में जंगलाही उर्फ पुरनिया पोखर के नाम से प्रचलित है। किसी जमाने में इस पोखर के चारों ओर वन और पेड़-पौधों की अधिकता थी। इसी कारण इसे जंगलाही पोखर कहा जाता था। एक औषधीय पौधा पुरैन यहां होता था, इसलिए उपनाम में पुरनिया पोखर भी कहा जाता। पोखर का धार्मिक महत्व भी है। बावजूद इसके यह समयकाल में उपेक्षित होने लगा था। पेड़ कटने लगे। पुरैन भी खत्म होने लगा। धीरे-धीरे इस पोखर के जीर्णोद्धार और जीवंतता को लेकर आवाज उठने लगी। लेकिन, इतने बड़े बदलाव को लाना इतना आसान नहीं था।
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उद्यान के चारों ओर भिडा पर पौधारोपण
इस स्थल की जीवंतता को पुनर्जीवित करने के लिए रामापुर महेशपुर जनकल्याण समिति ने अथक प्रयास किया। लेकिन, इतने बड़े कार्य के लिए जनसहभागिता के अलावा राशि की भी जरूरत थी। बाद में जल-जीवन-हरियाली अभियान का साथ मिला। इससे पोखर का काया पलट हो गया। इसका नाम ही जल-जीवन-हरियाली उद्यान पड़ गया। इसके परिसर में मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र, सामुदायिक केंद्र, सामुदायिक शौचालय, नल-जल योजना की जलमीनार, खुली व्यायामशाला, कबड्डी मैदान आदि का निर्माण कराया गया। उद्यान के चारों ओर भिडा पर पौधारोपण किया गया है। इसमें 2000 से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं। सीढि़यों पर बनी पेंटिग में प्रदूषण और हरियाली का संदेश दिया गया है। इसके भाव को आसानी से समझा जा सकता है।
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छठव्रतियों का रखा खयाल, होगी सहूलियत
पोखर में हर तरफ सीढि़यों का निर्माण कराया गया है। इसमें छठव्रतियों को पूजा के समय आसानी होगी। पानी के नियमित बहाव के लिए दो प्रवेश व निकासी नालों का निर्माण कराया गया है। पोखर के किनारों पर पेड़-पौधों के कटआउट लगाए गए हैं। जिनमें जलवायु परिवर्तन और उनसे निपटने के उपाय बताए गए हैं। उद्यान में सांप-सीढ़ी खेल बनाया गया है, जिसे खेलकर महिलाओं को सामाजिक सरोकार से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर जागरूक किया जाता है।
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जल संचयन स्वावलंबी सहकारिता समिति ने किया जागरूक
जल संचयन स्वावलंबी सहकारिता समिति अधिनियम के तहत एक संगठन तैयार किया गया। उसके माध्यम से पोखर एवं उद्यान के रख-रखाव, जल संचयन, जल छाजन, जीरो टिलेज से खेती, स्प्रिंकलर आदि के लिए जागरूक किया गया।