हिन्दू-मुस्लिम एकता का भी प्रतीक है मोरवा का बाबा खुदनेश्वर स्थान

समस्तीपुर। जिला मुख्यालय से करीब 17 किलो मीटर दक्षिण- पश्चिम में मोरवा प्रखंड मुख्यालय के निकट अवस्थित है बाबा खुदनेश्वर स्थान शिव मंदिर। यह हिन्दू-मुस्लिम एकता का भी प्रतीक है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 11:44 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 11:44 PM (IST)
हिन्दू-मुस्लिम एकता का भी प्रतीक है मोरवा का बाबा खुदनेश्वर स्थान
हिन्दू-मुस्लिम एकता का भी प्रतीक है मोरवा का बाबा खुदनेश्वर स्थान

समस्तीपुर। जिला मुख्यालय से करीब 17 किलो मीटर दक्षिण- पश्चिम में मोरवा प्रखंड मुख्यालय के निकट अवस्थित है बाबा खुदनेश्वर स्थान शिव मंदिर। यह हिन्दू-मुस्लिम एकता का भी प्रतीक है। यहां पर एक साथ भगवान भोलेनाथ और उनकी भक्त खुदनी बीबी के मजार पर लोग पूजा-अर्चना लोग करते हैं। राज्य के पर्यटन स्थलों में बाबा खुदेनश्वर स्थान भी शामिल हैं। इसका विकास धार्मिक न्यास बोर्ड की देखरेख में किया गया है। मंदिर का इतिहास

किवदंतियों के अनुसार करीब सात सौ वर्ष पूर्व यहां घनघोर जंगल था। जहां खुदनी बीबी नाम की एक मुस्लिम महिला गाय चराया करती थी। एक दिन खुदनी बीबी गाय चराकर घर लौटी। गाय को खुंटा में बांधकर जब गाय को दूहने का प्रयास की तो उसके थन से दूध नही निकला। यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। एक दिन गाय चराने के क्रम में उसने देखा कि उसकी गाय एक निश्चित जगह पर खड़ी होकर अपने थन से दूध गिरा रही है। उस रात उसके सपने में महादेव खुद आए और कहा कि उसने गाय के साथ जो देखा है, उसे किसी को न बताए। परंतु परिवार के बार-बार पूछने पर उसने बता दी। संयोगवश उसी रात खुदनी बीबी का देहावसान हो गया। परिवार के लोग दफनाने के लिए उसी जगह पर जंगल में गए जहां गाय दूध गिराया करती थी। कब्र खोदने के दौरान कुदाल एक पत्थर से टकाराई और उस पत्थर से खून बहने लगा। उस जगह से तीन हाथ दक्षिण पुन: कब्र खोदकर खुदनी बीबी को दफनाया गया। इस घटना के बाद वहां पर लोगों की भीड़ जुट गई। उसके बाद हिन्दू समुदाय के लोग वहां पहुंचकर आस्था के साथ शिवलिग सहित खुदनी बीबी के मजार की हिन्दू- रीति रिवाज से पूजा अर्चना करना शुरू कर दिया। तभी से इसका नाम खुदनेश्वर स्थान पड़ गया। यहां पर मंदिर का निर्माण नरहन स्टेट के द्वारा 1858 ई.में कराया गया। इसके बाद स्थानीय पंडित श्रीपति झा के द्वारा वर्ष 2007 में भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया। वर्तमान में यहां पर भगवान भोले नाथ का भव्य मंदिर अवस्थित है। विशेषता

वैसे तो इस मंदिर में सालोभर पूजा अर्चना के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है। कितु सावन में एक महीने तक कांवड़ियों की जबरदस्त भीड़ रहती है। श्रद्धालु चमथा एवं बछवाड़ा पवित्र जल लेकर यहां पर पहुंचते हैं और भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। बसंत पंचमी एवं शिवरात्रि में भी बहुत बड़ी भीड़ जुटती है। लोगों का कहना है कि सच्चे मन से जो भी भक्त यहां पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं, उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। कहते हैं मंदिर के पुजारी

फोटो : 28 एसएएम 02

मोरवा खुदनेश्वरधाम में साक्षात महादेव बिराजमान हैं। यहां आने वाले लोगों की हर मनोकामनाएं पूरी होती है। श्रद्धा भाव से जो भी भक्त पूजा अर्चना करते हैं, वे मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं।

चन्दन भारती, मंदिर के पुजारी

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