पांडव स्थान के अवशेष को देख कलाम ने कहा था अद्भुत
दलसिंहसराय स्थित पांडव स्थान के उत्खनन में मिले अवशेष जो वर्तमान में पटना संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहे उसे देख तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अद्भुत कहा था।
समस्तीपुर । दलसिंहसराय स्थित पांडव स्थान के उत्खनन में मिले अवशेष जो वर्तमान में पटना संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहे, उसे देख तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अद्भुत कहा था। यहां से निकले अवशेषों का उन्होंने 2003 में अवलोकन किया था। आज उस पांडव स्थान की उपेक्षा हो रही। दैनिक जागरण की मुहिम ने महाभारतकालीन पांडव स्थान के जीर्णोद्धार की उम्मीद जताई है। यहां के आसपास के गांवों के नाम और तालाबों के नाम भी महाभारतकालीन काल को दर्शाते हैं। साहित्यकार डॉ. लोकेश शरण ने अपनी किताब 'अतीत के आईने में' दलसिंहसराय में इस बात को लिखा है कि किवदंती के अनुसार पांडव स्थान के आसपास के गांव के नाम और तालाबों के नाम पर आधारित हैं।
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महाभारतकालीन घटना पर आधारित हैं पोखरों के नाम
मान्यताओं ने अनुसार, पाड़ गांव में ही तालाब जिनका नाम मड़ही और भतही पोखर है। साथ ही एक कुआं है जो दलही कुआं के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि भीम श्राद्ध कर्म के लिए रखा गया भोज खा गए थे। इसके बाद बर बरना भोज के लिए भात (चावल) जहां रखा गया, उसे भतही पोखर, माड़ के लिए मड़ही तथा दाल रखने के लिए कुआं के उपयोग होने के कारण उसे दलही कुआं नाम रखा गया है। इसी तरह पास ही स्थित घटहो का नाम घटोत्कच के नाम से घटहो नाम दिया गया है। उसी तरह पांच पतियों वाली द्रौपदी के कारण पचपैका जो उस समय पंचपियका नाम था। इसी तरह के कई नाम हैं जो महाभारतकालीन हैं।
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ऑस्ट्रेलिया के पुरातत्ववेत्ता ने भी किया है उत्खनन स्थल का मुआयना
पांडव डीह के इस पांडव स्थान की खोदाई के दौरान इतिहासकार डॉ. आरएस शर्मा, पुरातत्वविद डीपी सिंह के अलावा आस्ट्रेलिया मूल के ब्रिटिश विश्वविद्यालय से जुड़े पुरातत्ववेत्ता डॉ. स्टिफिन जैसे विद्वानों ने उत्खनन स्थल का मुआयना कर प्राचीनतम बताया है।