ममता की छांव से दूर रखकर भी बेटे को दे रहीं सेवा की सीख
मम्मा आज ड्यूटी मत जाओ ना.. आज मेरे साथ ही रुक जाओ..! रोज ड्यूटी के लिए निकलते वक्त मेरा बेटा कुछ ऐसा ही कह कर मुझे रोकने की कोशिश करता है। एक क्षण के लिए तो मुझे भी लगता है कि रुक जाऊं.. लेकिन समाज के प्रति जो दायित्व है वो मुझे फिर ड्यूटी पर खींच कर लाता है।
समस्तीपुर । मम्मा आज ड्यूटी मत जाओ ना.. आज मेरे साथ ही रुक जाओ..! रोज ड्यूटी के लिए निकलते वक्त मेरा बेटा कुछ ऐसा ही कह कर मुझे रोकने की कोशिश करता है। एक क्षण के लिए तो मुझे भी लगता है कि रुक जाऊं.. लेकिन समाज के प्रति जो दायित्व है वो मुझे फिर ड्यूटी पर खींच कर लाता है। यह कहानी समस्तीपुर पीएचसी अंतर्गत स्वास्थ्य उपकेंद्र मुसापुर में तैनात नर्स सुरुचि कुमारी की। वह अपने बेटे को ममता की छांव से दूर रखकर कोरोना काल में सेवा की सीख दे रहीं हैं। जो उसे एक बेटा की तुलना में एक बेहतर इंसान बनने में मदद करेगा। कोरोना महामारी से जंग में स्वास्थ्य कर्मी योद्धा बने हुए हैं। सबसे बड़ी जिम्मेदारी उन स्टाफ नर्स पर है, जो दिन-रात मरीजों की सेवा में लगी हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र समस्तीपुर में तैनात नर्स सुरुचि कुमारी ऐसी ही जिम्मेदारी निभा रही हैं। इस समय कोरोना टीकाकरण में उनकी ड्यूटी लगी है। वह कहती हैं कि पूरा विश्व महामारी के दौर से गुजर रहा है। इसमें हम स्वास्थ्य कर्मियों पर अहम जिम्मेदारी है। हर रोज काम के बाद घर लौटने पर आत्मसंतुष्टि का अनुभव होता है। कोरोना के खिलाफ सुरक्षा तंत्र मजबूत करने पर मन में संतोष होता है। यहीं संतोष और अनुभव अगले दिन सेवा देने के लिए प्रेरित करते हैं। परेशानी कम नहीं, फिर भी आत्मसंतोष होकर लौटती हैं घर
कोरोना से बचाव को लेकर सुबह से शाम तक लोगों के बीच रहकर वैक्सीनेशन करते हुए ड्यूटी निभा रही है। वह कहती है कि आधुनिक नर्सिंग की जन्मदाता फ्लोरेंस नाइटिगेल के बताए रास्ते पर चल रही हैं। परेशानी तो है की घर की जिम्मेवारी ड्यूटी के साथ निभा रही है। वह कहती है कि उनका एक छोटा पुत्र है। ड्यूटी आते वक्त जब मेरा बेटा बोलता है की मम्मा आज मत जाओ ना तो एक समय के लिए लगता है की शायद मैं अपनी मां होने का दायित्व नहीं निभा पा रही हूं। लेकिन अपने समाज के प्रति जो दायित्व है वो मुझे फिर ड्यूटी पर खींच कर लाता है। घर लौटते समय एक अलग ही तरह की आत्मसंतुष्टि का अनुभव होता है। मेरी ये तुच्छ सी सेवा समाज को इतनी बड़ी संकट से उबार रही है। यही रोज का अनुभव मैं अपने साथ घर लेकर जाती हूं जो मुझे फिर से अगले दिन के लिए सेवा देने को तैयार करता है। खुद को भी बचाए रखना जिम्मेदारी
महामारी में खुद को बचाए रखने के लिए सुरुचि नियमों का पालन करती हैं। ड्यूटी के दौरान थ्री लेयर मास्क लगाकर रखती हैं। जब से कोरोना महामारी फैली है, तभी से वह ठंडे पानी से परहेज कर लिया है। घर हो या ड्यूटी पर गर्म पानी ही पीती हैं। इसके साथ ही डाइट में विटामिन वाले खाद्य पदार्थो को शामिल कर लिया है। ड्यूटी से जब घर पर जाती है, तो पहले खुद को सैनिटाइज करती है। कपड़ों व जूतों को अलग रखती हैं। इसके बाद ही परिवार से मिलती हैं। इन सब सावधानी की वजह से ही वह कोरोना संक्रमण से मुक्त हैं।