कोरोना संक्रमितों के बेहतर इलाज को जान की बाजी लगा रहे करमचंद्र
कोरोना महामारी एक बार फिर पांव पसार चुकी है। आमजन को कोरोना से बचाने और इलाज करने में सबसे आगे स्वास्थ्य विभाग के डाक्टर नर्स पारामेडिकल स्टाफ सहित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी एंबुलेंस चालक और अन्य कर्मचारी खड़े हैं। कोरोना से मुक्ति दिलाने में जितनी अहमियत डाक्टर्स की है उतनी की किसी वार्ड में सेवा कर रहे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भी है।
समस्तीपुर । कोरोना महामारी एक बार फिर पांव पसार चुकी है। आमजन को कोरोना से बचाने और इलाज करने में सबसे आगे स्वास्थ्य विभाग के डाक्टर, नर्स, पारामेडिकल स्टाफ सहित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, एंबुलेंस चालक और अन्य कर्मचारी खड़े हैं। कोरोना से मुक्ति दिलाने में जितनी अहमियत डाक्टर्स की है, उतनी की किसी वार्ड में सेवा कर रहे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भी है। एंबुलेंस सबसे पहले मरीज तक पहुंचती है। मरीज को घर से लेकर आती है और अस्पताल में दाखिल करवाती है। मरीज को ठीक होने के बाद भी कई बार एंबुलेंस संक्रमित को घर तक छोड़कर भी आती है। इतना ही नहीं यदि किसी संक्रमित की मौत हो जाए तो शव को भी एंबुलेंस ही पहुंचाती है। ऐसे में सबसे ज्यादा खतरे के साये में एंबुलेंस चालक और ईएमटी रहते हैं। संक्रमितों का इलाज के लिए कराते है भर्ती
एंबुलेंस में चालक के साथ ड्यूटी देने वाले ईएमटी करमचंद्र राम ने बताया कि अब एक बार फिर संक्रमण केस बढ़े हैं तो उनकी ड्यूटी भी सख्त हो गई है। उन्होंने बताया कि वे सदर अस्पताल में कोरोना संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए ड्यूटी करते हैं। ड्यूटी में खतरा भी है फिर भी अपना कार्य कर रहे है। संक्रमित को अस्पताल पहुंचाते समय भय रहता है कि हम भी चपेट में आ सकते हैं। सुरक्षा को लेकर बचाव को हरसंभव प्रयास करते है। सभी मिलकर लड़ेंगे तभी हारेगा कोरोना
अपना ध्यान रखने के साथ-साथ स्वजनों की भी चिता रहती है इसलिए घर जाने के तुरंत बाद गर्म पानी से नहाते हैं और कपड़े भी गर्म पानी में भिगोते हैं। इसके बाद करीब एक घंटे बाद ही बच्चों के पास जाते हैं। बताया कि सब मिलकर लड़ेंगे, तभी कोरोना को हराया जा सकता है।