रबी अनुसंधान परिषद की बैठक में गन्ने के दो एवं परवल के एक प्रभेद रिलीज

समस्तीपुर। डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि रबी अनुसंधान परिषद की तीन दिवसीय बैठक में बुधवार को गन्ने की दो एवं परवल के एक प्रभेद विकसित किये गए।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 11:02 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 11:02 PM (IST)
रबी अनुसंधान परिषद की बैठक में गन्ने के दो एवं परवल के एक प्रभेद रिलीज
रबी अनुसंधान परिषद की बैठक में गन्ने के दो एवं परवल के एक प्रभेद रिलीज

समस्तीपुर। डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि रबी अनुसंधान परिषद की तीन दिवसीय बैठक में बुधवार को गन्ने की दो एवं परवल के एक प्रभेद विकसित किये गए। दोनों ही प्रभेद बिहार के किसानों के लिए काफी लाभदायक हैं। गन्ने का प्रभेद राजेंद्र गन्ना 3 एवं चार है। वहीं, परवल की प्रभेद राजेंद्र परवल तीन है। राजेंद्र गन्ना तीन : यह गन्ने की आगात प्रभेद है। लालसर रोग प्रतिरोधी है एवं इस पर कीटों का भी कम प्रभाव पड़ता है। इसकी ऊपज क्षमता 103 टन प्रति हेक्टेयर है। यह 10 महीनों में तैयार हो जाती है एवं इसके पौधे सीधे खड़े एवं मोटे होते हैं। बिहार के सभी प्रकार की मिट्टी में इसे लगाया जा सकता है। राजेंद्र गन्ना 4 : यह प्रभेद मध्य पिछात प्रभेद है। इसकी ऊपज क्षमता 108.25 टन प्रति हेक्टेयर है। इसके रस में चीनी की मात्रा 18.25 फीसद है। इस प्रभेद पर भी लालसर रोग की प्रतिरोधी क्षमता है। इन दोनों प्रभेदो को बिहार के गोपालगंज, सीतामढ़ी, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण इत्यादि क्षेत्रों में लगभग 3 वर्ष तक किसान के खेतों में प्रत्यक्षण किया गया है। राजेंद्र परवल 3 : इसकी ऊपज क्षमता 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर है। इसकी रोपाई सितंबर से अक्टूबर माह में होगी। इसका फलन लंबे समय तक है। तथा यह एक ही डंटल में ज्यादातर फल निकलते हैं। इसमें बीज की मात्रा कम पायी जाती है। यह मिठाई बनाने के लिए भी काफी उपयुक्त है। यह दियरा एवं ढाब क्षेत्रों के लिए काफी उपयुक्त है। इसे उद्यान वैज्ञानिक डॉ उदित कुमार, डॉ. प्रमिला कुमारी, डॉ. दिनेश राय, डॉ. नागेंद्र राय ने विकसित की है। चार तकनीक भी विकसित

इस अनुसंधान परिषद की बैठक में चार तकनीक किसानों के लिए विकसित की गई। इसमें लीची की गुठली से मुर्गी दाना तैयार करना, नाव आधारित सोलर पंप सेट, हस्त चालित यंत्र से भिडी की तोराई, मक्के एवं दाल के पोषक प्रबंध संबंध में तकनीक विकसित की गई है। मौके पर निदेशक अनुसंधान डॉ मिथिलेश कुमार, डॉ. एनके सिंह, डॉ. एस के सिंह, सहित विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डीन डायरेक्टर मौजूद रहे।

वर्जन विवि के विज्ञानियों ने किसानों की समस्या को देखते हुए जलवायु अनुकूल अनुसंधान किया है। जिससे किसान लाभान्वित हो सकें। इसीका परिणाम है कि तीन दिनों के चितन-मंथन के बाद गन्ने की दो एवं परवल की एक प्रभेद विकसित की गई है।

डा. आरसी श्रीवास्तव

कुलपति, डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि पूसा

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