बिना चयन सूची के 11 लाभार्थियों के नाम पर हुई अवैध निकासी
समस्तीपुर। नगर परिषद समस्तीपुर में शहरी आवास योजना अंतर्गत लाभुकों के बीच वितरित राशि में भारी अनियमितता की बू आ रही है।
समस्तीपुर। नगर परिषद समस्तीपुर में शहरी आवास योजना अंतर्गत लाभुकों के बीच वितरित राशि में भारी अनियमितता की बू आ रही है। वर्ष 2017 में नगर परिषद समस्तीपुर को सीएफएमएस के माध्यम से शहरी आवास योजना मद में लाखों रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ था। इसमें लाभुकों के बीच वितरित राशि में भारी अनियमितता बरती गई। जिन लाभुकों का नाम चयन सूची में नहीं था, उन्हें भी गलत तरीके से भुगतान कर दिया गया। बिना चयन सूची के करीब 11 लाभुकों के नाम पर अवैध निकासी कर ली गई। इसके अलावे तत्कालीन प्रधान लिपिक व पदाधिकारी के नाम से भी इस योजना मद की राशि से अग्रिम के रूप में निकासी कर ली गई। इतना ही नहीं शहरी आवास योजना मद के लाखों रुपये वेतन के नाम पर निकाल लिये गए। इसका अबतक समायोजन नहीं किया गया। सूत्रों के अनुसार करीब 50 लाख रुपये से अधिक का गोलमाल बताया जा रहा है। आश्चर्य है कि मामला संज्ञान में आने के बाद भी अबतक इसपर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
---------------------------------------------------------- 128 में से 65 कर्मी बिना सेवा पुस्त के ही कार्यरत
नगर परिषद कर्मियों की नियुक्ति एवं सेवा इतिहास भी संदेहास्पद है। नगर परिषद के करीब 128 सेवा कर्मियों में से 65 कर्मियों की सेवा पुस्तिका नहीं है। इसमें कई सेवानिवृत भी हो चुके हैं। वर्ष 2016 में तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी ने नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव को आवेदन भेजकर इसकी आशंका जाहिर भी की थी। इसमें बताया था कि नगर परिषद कार्यालय के कर्मियों की स्थापना संबंधी संचिकाओं एंव कागजातों के अवलोकन से स्पष्ट है कि न तो कार्यालय में स्वीकृत बल, उनकी शैक्षणिक योग्यता एवं आरक्षण कोटि की जानकारी अथवा आदेश पत्र, संकल्प पत्र उपलब्ध है औ न ही सभी के सेवा पुस्त। उपलब्ध सेवा पुस्त भी आधे-अधूरे हैं। लगभग 20 वर्षों से अधिक समय से कोई अंकन नहीं किया गया है। पूर्व के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा कोई कार्रवाई, अनुशंसा अथवा सेवा सत्यापन नहीं की गई है। जो काफी संवेदनशील और संदिग्ध है। अब जबकि नगर परिषद उत्क्रमित होकर नगर निगम बन चुका है। जिलाधिकारी इसके प्रशासक नियुक्त हो गए हैं। देखना है कि क्या कार्रवाई होती है।