घर-घर जाकर नमक का सैंपल लेंगे स्वास्थ्य कर्मी

स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोडीन नमक की कमी से होने वाले कई असाध्य रोगों की रोकथाम को लेकर गंभीर हो गया है। आयोडीन की उपलब्धता की जांच के लिए नमक का नमूना संग्रह किया जाना है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 01:04 AM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 02:17 AM (IST)
घर-घर जाकर नमक का सैंपल लेंगे स्वास्थ्य कर्मी
घर-घर जाकर नमक का सैंपल लेंगे स्वास्थ्य कर्मी

समस्तीपुर । स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोडीन नमक की कमी से होने वाले कई असाध्य रोगों की रोकथाम को लेकर गंभीर हो गया है। आयोडीन की उपलब्धता की जांच के लिए नमक का नमूना संग्रह किया जाना है। स्वास्थ्य विभाग नमक के नमूना घरों, मिड डे मिल की रसोई, दुकानों, आंगनबाड़ी केंद्रों की रसोई और रेलवे के रैक प्वाइंट से लेने के लिए कहा गया है। इस अभियान में स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर लोगों के नमक के सैंपल लेकर उसकी जांच करेंगे। इस तरह की जांच का मुख्य उद्देश्य आयोडीन को लेकर लोगों में जागरूकता लाना है। नमक के नमूनों को संग्रहित कर उनमें आयोडीन की जांच करने के लिए पीएमसीएच पटना के सामुदायिक स्वास्थ्य विभाग में भेजा जाएगा। आयोडीन एक महत्वपूर्ण सूक्ष्म तत्व है, जो कि शरीर में संग्रहित नहीं हो पाता है। इसका उपयुक्त मात्रा में सेवन किया जाना चाहिए। नमक में आयोडीन की मात्रा की जांच एक महत्वपूर्ण गतिविधि है। जिसके द्वारा उपयोग किए जाने वाले नमक में मानक के अनुसार आयोडीन की उपलब्धता की जांच की जाती है। जरूरी है आयोडीन नमक

आयोडीन शरीर व मस्तिष्क दोनों की सही वृद्धि, विकास व संचालन के लिए आवश्यक है। आयोडीन की कमी से घेंघा हो सकता है। आयोडीन की कमी से नवजात शिशु के शरीर व दिमाग की वृद्धि व विकास में हमेशा के लिए रुकावट आ सकती है। छोटे बच्चों, नौजवानों व गर्भवती महिलाओं के लिए आयोडीन बहुत जरूरी है। गर्भवती मां में आयोडीन की कमी हो तो उसका बच्चा असामान्य हो सकता है। अगर तुरंत बच्चे का इलाज नहीं कराया गया तो उम्र बढ़ने के साथ उसकी मानसिक व शारीरिक हालत और भी खराब होती जाती है। दुकानों से नहीं चोरी होती नमक क्योंकि..

मजेदार बात यह है कि ग्रामीण इलाकों के दुकानों के बाहर रखे इन नमक की बोरी चोरी नहीं होती है। कारण है कि जगह नहीं होने के कारण दुकानदार नमक को खुले में बाहर रख देते हैं। चोरी नहीं होने के पीछे धारणा है कि नमक कोई नहीं चुराता, क्योंकि इसका हक अदा करना पड़ता है और कई धारणाएं हैं। आयोडीन की कमी से यह विकृति

- गलघोटू

- मंद-बुद्धि

- तंत्रिकापेशीय दुर्बलता

- स्थानिक बौनापन

- मृत बच्चा पैदा होना

- हाइपोथायराडिज्म

- देखने, सुनने व बोलने में विकृति

- गर्भावस्था में शिशु की आकस्मिक मृत्यु

- मानसिक दिव्यांगता

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