दुनिया के सभी धर्म दिव्य, सनातन और सार्वभौमिक : ओम

समस्तीपुर। ईश्वर एक है समस्त मानवजाति एक है सभी धर्मों की नींव एक है तथा सभी ईश्वरावतारों

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 10:59 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 10:59 PM (IST)
दुनिया के सभी धर्म दिव्य, सनातन और सार्वभौमिक : ओम
दुनिया के सभी धर्म दिव्य, सनातन और सार्वभौमिक : ओम

समस्तीपुर। ईश्वर एक है, समस्त मानवजाति एक है, सभी धर्मों की नींव एक है तथा सभी ईश्वरावतारों के दिव्य प्रकटीकरण का पद-प्रयोजन भी एक ही है। वह है सार्वभौम सत्ता का प्रतिनिधित्व करना। यही कारण है कि विभिन्न काल एवं परिस्थितियों के अनुकूल अलग-अलग धर्मों एवं अवतारों का आविर्भाव होता है। प्रत्युत इसका आशय यह नहीं कि एक धर्म दूसरे से श्रेष्ठ है। क्योंकि एक सत्य दूसरे सत्य का खंडन नहीं करता। अतएव जो कोई सिर्फ अपनी ही जाति, धर्म आदि को श्रेयस्कर मानते हैं वे कुएं के मेढ़क स²श्य हैं। यह बात राज्य बहाई परिषद बिहार के सचिव ओम नम: शिवाय सिंह ने बुधवार को ''धार्मिक सह अस्तित्व'' विषय पर आयोजित वेबिनार में कही। उन्होंने कहा कि यह कि धर्म अंत:प्रकृति है जो अपने मूल स्वरूप में दिव्य, अमूर्त तथा गत्यात्मक है। यह शाश्वत जीवन तथा नैतिक मूल्यों का आधार व प्रेमसंसर्ग एवं मनुष्यत्व का कारक है, जिसका एकमात्र प्रमुख प्रमेय संपूर्ण सृष्टि को मार्गदर्शित करना तथा अक्षय सुख-शांति प्रदान करना है। यदि यह विग्रह का कारण बनता है तो मानवजाति को कतई इसकी आवश्यकता नहीं क्योंकि धर्म औषधि के समान है। यदि वह रोग में वृद्धि करता है तो यह अनावश्यक है, सर्वथा त्याज्य। मूलार्थत: धर्म, सम्प्रदाय एवं पंथ आदि के नामपर विवाद, फूट एवं पृथकता की कैफियत पैदा करना मानसिक विदूषक का पर्याय है। उन्होंने कहा कि सतत विकसित हो रही सभ्यता को एक नया आयाम देने, सार्वभौमिक शांति की स्थापना तथा सामाजिक रूपांतरण हेतु प्रत्येक मानव आत्मा को धर्मानुकूल आचरण तथा श्रमसाध्य प्रयास करना चाहिए, क्योंकि बहाई धर्म के संस्थापक युगावतार बहाउल्लाह ने स्वयं कहा है कि - हे पृथ्वी पर रहनेवाले लोगों! ईश्वर का धर्म प्रेम और एकता के निमित्त है। इसे शत्रुता और कलह का कारण मत बनाओ। कार्यक्रम की शुरुआत सर्वधर्म प्रार्थना से की गई। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम की झलकियां भी प्रस्तुत की गई। साथ ही इसमें भाग लेने वाले प्रमुख लोगों ने ईश्वर की शाश्वत संविदा, जीवन और मृत्यु प्रार्थना, पवित्र लेखों का पाठ के अलावा सुसंगत जीवन एवं आचरण की शुद्धता आदि से जुड़े अपने-अपने विचार रखे।

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