शिक्षक व कर्मियों को खाते में राशि नहीं देने पर अनुदान से वंचित हो जाएंगे वित्त रहित कालेज : शिक्षा मंत्री

अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों में सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि में गड़बड़ी करने पर अगले साल से प्रबंधन अनुदान के हकदार नहीं होंगे। ऐसे कालेजों के शिक्षकों व कर्मियों के खाते में प्रबंधन को राशि देनी है। राशि देने में गड़बड़ी करने की शिकायत मिली है। इस पर संज्ञान लिया जा रहा है। प्रबंधन द्वारा गड़बड़ी करने पर अगले साल से अनुदान नहीं दिया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Nov 2021 11:21 PM (IST) Updated:Sun, 21 Nov 2021 11:21 PM (IST)
शिक्षक व कर्मियों को खाते में राशि नहीं देने पर अनुदान से वंचित हो जाएंगे वित्त रहित कालेज : शिक्षा मंत्री
शिक्षक व कर्मियों को खाते में राशि नहीं देने पर अनुदान से वंचित हो जाएंगे वित्त रहित कालेज : शिक्षा मंत्री

समस्तीपुर । अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों में सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि में गड़बड़ी करने पर अगले साल से प्रबंधन अनुदान के हकदार नहीं होंगे। ऐसे कालेजों के शिक्षकों व कर्मियों के खाते में प्रबंधन को राशि देनी है। राशि देने में गड़बड़ी करने की शिकायत मिली है। इस पर संज्ञान लिया जा रहा है। प्रबंधन द्वारा गड़बड़ी करने पर अगले साल से अनुदान नहीं दिया जाएगा। उक्त बातें शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने दैनिक जागरण कार्यालय में विशेष बातचीत के दौरान कहीं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि महाविद्यालयों की स्थापना वित्त रहित श्रेणी में इसी शर्त के आधार पर हुई थी कि इसमें सरकार किसी भी तरह से कोई राशि उपलब्ध नहीं कराएगी। जदयू की सरकार आने से पहले का यह फैसला लंबे समय से चला आ रहा था। इसमें बदलाव का श्रेय भी नीतीश सरकार को ही जाता है। जदयू सरकार में फैसला लेकर वित्तरहित प्रणाली में आंशिक सुधार करते हुए अब इन महाविद्यालयों को उनके रिजल्ट के आधार पर अनुदान देने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि दूरस्थ इलाकों में स्थित सरकारी विद्यालयों में पर्याप्त मात्रा में शिक्षकों की नियुक्ति कर सरकार पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार लाना चाहती है। गरीब बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करेंगे तभी यह अपने आप में समावेशी विकास का प्रतीक होगा। स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या काफी कम

शिक्षा मंत्री ने बताया कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में लगातार सुधार कर रही है। पहले चरण में शिक्षा के सार्वजनीकरण का लक्ष्य लगभग पूरा कर लिया गया है। अब स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या काफी कम हो गई है। पहले 12.5 फीसद से अधिक बच्चे स्कूल से बाहर थे। अब इसमें बदलाव हुआ है। अब 0.5 फीसद से कम बच्चे स्कूल से बाहर है। इस आंकड़ा से स्पष्ट होता है कि गरीब परिवार के बच्चे भी अब स्कूल जाने लगे है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह प्रभावित हुई। फिर भी कुछ हद तक डिजिटिल शिक्षा, कैचअप कोर्स के माध्यम से भरपाई करने की कोशिश की गई। अगले दौर में विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में सुधार की दिशा में कार्य चल रहा है। स्कूलों में प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक की नियुक्ति को लेकर चल रही प्रक्रिया :

शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकारी विद्यालयों में शिक्षा और शिक्षक दोनों के स्तर में सुधार की प्रबल संभावना है। इसका असर प्रदेश के प्रत्येक विद्यालय में देखने को मिलेगा। देश में पहली बार लगभग 40 हजार से अधिक प्रारंभिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक का पद सृजित किया गया है। इसके अलावा माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में भी साढ़े पांच हजार प्रधानाध्यापक का पद सृजित किया गया है। दोनों पदों पर बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। आयोग लिखित परीक्षा के आधार पर नियुक्ति करेगा।

chat bot
आपका साथी