कृषि उत्पादन में नई तकनीक से किसानों को अधिक लाभ

खरीफ के मौसम में विगत कई वर्षों से वर्षा कम होने या आवश्यकतानुसार समय पर वर्षा नहीं होने पर धान की रोपाई समय से नहीं हो पाती है। साथ ही कृषि मजदूरों के पलायन से भी किसानों को धान की रोपाई में काफी समस्याएं आ रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 02 Jun 2019 12:03 AM (IST) Updated:Sun, 02 Jun 2019 12:03 AM (IST)
कृषि उत्पादन में नई तकनीक से किसानों को अधिक लाभ
कृषि उत्पादन में नई तकनीक से किसानों को अधिक लाभ

समस्तीपुर । खरीफ के मौसम में विगत कई वर्षों से वर्षा कम होने या आवश्यकतानुसार समय पर वर्षा नहीं होने पर धान की रोपाई समय से नहीं हो पाती है। साथ ही कृषि मजदूरों के पलायन से भी किसानों को धान की रोपाई में काफी समस्याएं आ रही हैं। इसलिए अब नई तकनीक से किसानों को खेती करने की आवश्यकता है। उक्त बातें शनिवार को प्रखंड मुख्यालय स्थित कृषि कार्यालय के प्रांगण में आयोजित खरीफ महाभियान 2019 के प्रखंड स्तरीय प्रशिक्षण सह उपादान वितरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में वैज्ञानिक पद्धति से किसानों को धान की सीधी बुवाई करने की जरूरत है। धान की सीधी बुआई संसाधन संरक्षित खेती की एक तकनीक है, जिसमें 20 प्रतिशत जल तथा श्रम की बचत होगी। वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने पर कम लागत में अधिक पैदावार किसान ले पाएंगे तथा इस तकनीक से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के साथ उत्पादन लागत घटाते हुए किसान अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि धान की सीधी बुवाई करने से पूर्व केवल मध्यम एवं निचली जमीन जहां पर सिचाई की सुविधा उपलब्ध हो वैसे स्थानों का चयन करें, ताकि खेतों की नमी दूर करने में किसानों को सहायता हो। कहा कि खेत में नमी की कमी रहने पर हल्की सिचाई देना चाहिए। यदि वर्षा हो जाती है तो इसकी जरूरत नहीं है। हल से दो बार खेत की जुताई कर दें एवं पाटा चला दें ताकि मिट्टी हल्की भुरभुरी हो जाए। धान की सीधी बुआई हेतु लेजर लेवल द्वारा भूमि का समतलीकरण करना आवश्यक है। यह बीज की समान गहराई, फसल के अच्छे जमाव, विकास, खरपतवार नियंत्रण एवं जल के एक समान वितरण में सहायक होता है। कहा कि खेत में बुआई करने से पहले किसानों को अच्छे बीज का चयन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस खेती के साथ सबल किसान बनने के लिए किसानों को खेती के साथ मुर्गी पालन, बकरी पालन भी कर सकते हैं ताकि सफल किसान कहलाएंगे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला उद्यान पदाधिकारी निरंजन प्रसाद ने कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रीय बागवानी मिशन में आम, लीची, अमरूद आदि फलों के लगाने पर 50 प्रतिशत सरकार की ओर से किसानों को अनुदान की राशि उपलब्ध कराई जा रही है। वहीं 30 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर पपीता पर किसानों को अनुदान उपलब्ध है। साथ ही प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिचाई योजना के तहत ड्रीप इरिगेशन 99 प्रतिशत एवं स्प्रींकलर पर 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह राष्ट्रीय बागवानी मिशन में किसानों को ऑफलाइन आवेदन करना होगा। वही प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिचाई योजना में ऑनलाइन आवेदन जमा करना होगा। कार्यक्रम का उद्घाटन प्रखंड प्रमुख वीणा कुमारी, उप प्रमुख बुच्ची देवी, जदयू प्रखंड अध्यक्ष रामाश्रय प्रसाद, भाजपा मंडल अध्यक्ष अमरेश झा, आत्मा अध्यक्ष राम कुमार झा, संजीव ठाकुर, अजीत कुमार झा, कृषि वैज्ञानिक शैलेंद्र कुमार, प्रखंड कृषि पदाधिकारी हिमांशु कुमार, उद्यान पदाधिकारी निरंजन प्रसाद, दयानंद दास, अजहर इमाम, रामयाद शांडिल्य आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रखंड प्रमुख वीणा कुमारी एवं संचालन किसान सलाहकार विमल किशोर ने किया। वहीं किसानों ने कई समस्याओं से पदाधिकारियों को अवगत कराया। इस पर सभी के समस्याओं के निदान का पदाधिकारियों ने आश्वासन दिया। मौके पर सैंकड़ों किसान उपस्थित रहे।

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