नगर परिषद क्षेत्र में डेढ़ प्रतिशत लाभार्थियों का भी नहीं बन सका आवास
समस्तीपुर। नगर परिषद क्षेत्र में सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। इन योजनाओं की स्थिति शहरी क्षेत्र में बद से बदतर है।
समस्तीपुर। नगर परिषद क्षेत्र में सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। इन योजनाओं की स्थिति शहरी क्षेत्र में बद से बदतर है। गरीबों के लिए चलायी गई प्रधानमंत्री आवास योजना का हाल तो और भी बेहाल है। स्थिति पर नजर डालें तो छह वर्षों में महज डेढ़ प्रतिशत भी आवास का निर्माण नहीं हो सका। सरकार द्वारा रोसड़ा नगर पंचायत के 2214 गरीबों के लिए आवास की स्वीकृति वित्तीय वर्ष 2015-16 में देते हुए राशि भी विमुक्त कर दिया गया। लेकिन नप प्रशासन की उदासीनता के कारण इस योजना की गति कछुए की गति से भी धीमी रही। लाभार्थियों की माने तो किश्त की राशि देने में नगर पंचायत द्वारा बेवजह विलंब करने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। कई लाभार्थियों ने वर्षों से किराए के मकान में रहना या खुले आसमान के नीचे प्लास्टिक लटका कर जीवन यापन करने की बात कही है। वार्ड नंबर 15 के विनोद शाह ने नगर पंचायत की मनमानी के कारण निर्माण में विलंब होना बताया। वार्ड नंबर 6 के सुल्तान मियां ने भी नप की मनमानी पर आक्रोश जताया है। लिटर लेवल तक काम करने के बाद भी भुगतान नहीं होने के कारण आवास निर्माण अधर में लटके रहने की जानकारी दी। इसके अलावा अन्य कई लाभार्थियों ने किश्त की राशि के लिए कई कई महीनों तक कार्यालय का चक्कर लगाने का भी आरोप लगाया। कार्यालय सूत्रों की माने तो आज भी 5 करोड़ की राशि आवास योजना मद में पड़ी है और लाभार्थियों को राशि नहीं मिलने के कारण निर्माण का कार्य अधर में लटका है। लाभार्थी द्वारा आवास निर्माण के लिए स्वयं खुदाई करने के पश्चात प्रथम किश्त के रूप में 50 हजार विमुक्त किया जाता है। पुन: द्वितीय किश्त में एक लाख, तृतीय किस्त में 20 हजार और चतुर्थ किस्त में 30 हजार की राशि दी जाती है। नगर पंचायत द्वारा लाभार्थियों को नोटिस मिलते ही आनन-फानन में गरीब अपना झोपड़ी तोड़ गडढ़ा तो बना लेते हैं। लेकिन महीनों तक जांच के नाम पर नप द्वारा प्रथम किस्त का भुगतान नहीं करने के कारण पूरे परिवार के समक्ष रहने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। यही हाल अन्य किश्तों के भुगतान की भी बताई जा रही है। दूसरी ओर किश्तों के भुगतान में कई बार लेन-देन का मामला भी गरमाया। लाभार्थियों की शिकायत पर कई पार्षदों ने भी इसे जोर शोर से बोर्ड की बैठक में उठाया है। और बैठक के माध्यम से जांचोपरांत कार्रवाई का भी आदेश पारित किया गया था। जो आज तक अधर में ही लटका है। 4 चरणों में रोसड़ा नप को आवास की स्वीकृति के साथ राशि भी विमुक्त की गई थी। सरकार के स्तर पर जल्द से जल्द आवास निर्माण का निर्देश भी दिया जा रहा है। लेकिन वर्तमान स्थिति में यदि सुधार नहीं हुआ तो केवल 2214 घर के निर्माण में ही कई दशक लग सकते हैं और आवास के लिए आस लगाए बाकी के गरीबों का तो ऊपर वाले ही मालिक है वर्जन
आवास योजना में करोड़ों रुपया उपलब्ध रहने के बावजूद लाभार्थियों को किश्त की राशि समय पर नहीं दी जा रही है। कार्यपालक पदाधिकारी की उदासीनता और मनमानी रवैया के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना की स्थिति बदतर है। जांचोपरांत दोषी को चिह्नित कर उसके विरुद्ध कार्रवाई आवश्यक है।
श्याम बाबू सिंह
मुख्य पार्षद , नप रोसड़ा
पूर्व में आवंटन का अभाव रहने तथा कोरोना काल में जांच की प्रक्रिया प्रभावित रहने के कारण योजना के कार्य में विलंब हुआ है । वर्तमान में तेजी लाने का प्रयास जारी है।
जयचंद्र अकेला
कार्यपालक पदाधिकारी, नप रोसड़ा