गरीबों के बीच बांटे ईद के कपड़े

शहर के धरमपुर में अल खिदमात फाउंडेशन की ओर से शुक्रवार को गरीब व जरूरतमंद एक सौ लोगों के बीच रमजान और अलविदा जुमा के मौके पर ईद के लिए कपड़े वितरित किए गए।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 12:27 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 12:27 AM (IST)
गरीबों के बीच बांटे ईद के कपड़े
गरीबों के बीच बांटे ईद के कपड़े

समस्तीपुर । शहर के धरमपुर में अल खिदमात फाउंडेशन की ओर से शुक्रवार को गरीब व जरूरतमंद एक सौ लोगों के बीच रमजान और अलविदा जुमा के मौके पर ईद के लिए कपड़े वितरित किए गए। गरीब नए वस्त्र पाकर बेहद खुश नजर आए। मौके पर मौजूद समाजसेवी सैयद एहसानुल हक चुन्ने ने कहा कि अल खिदमात फाउंडेशन सर्दी के मौसम में गरीबों को कंबल और ईद पर हर साल कपड़े का वितरण करती है। जिससे गरीब वर्ग के लोग भी ईद की खुशियों में हंसी खुशी तरीके से शामिल हो। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम समय- समय पर होते रहना चाहिए। चुन्ने ने बताया कि गरीबों की सेवा करना हमारा परम कर्तव्य है और मै गरीबों की सेवा हमेशा करता रहूंगा। कोरोना काल में अल्लाह की इबादत की आवश्यकता ज्यादा

समस्तीपुर : रमजान का महीना पवित्र माना जाता है। इस वर्ष पूरे विश्व में कोरोना संक्रमण काल है। इसलिए अल्लाह की इबादत की आवश्यकता और ज्यादा बढ़ गई है। रमजान में रोजा तोड़ने के पश्चात हमें अल्लाह की इबादत भी करनी चाहिए। अऊजु बिल्लाहि मिनशशैत निर्रजीम बिस्मिल्ला हिर्रहमा निरहीम। आमीन बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निरहीम कुल्लू अल्लाहू अहद अल्लाह हु समद लंग यलिद वलम युलद लम य कुल्लूहु कुफवन अहद। मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं को भी अल्लाह की इबादत करनी चाहिए। ईद का चांद देखने से ज्यादा महत्व सही ढंग से रोजा रखकर चांद का दीदार करना होता है।

ताज बेगम, सामाजिक कार्यकर्ता (केयर इंडिया) पूसा अलविदा जुमे की नमाज में खुशहाली की मांगी दुआ

वारिसनगर प्रखंड की विभिन्न मस्जिदों में लॉकडाउन के नियमों का अनुपालन करते हुए नमाजियों ने माह ए रमजान के अलविदा जुम्मे की नमाज अता की। रमजान मुबारक के पाक व बरकत के महीने में अल्लाह से सारे लोगों ने मिलकर यही दुआ कि कोरोना महामारी से जल्द से जल्द लोगों को निजात दिलाई जाए। साथ-साथ यह भी दुआ की गई कि इस वक्त में मुल्क के जो हालात हैं उसमें हम एक दूसरे की मदद करें। एक- दूसरे का सहारा बने, यही इंसानियत का फर्ज बनता है। यही इंसानियत का तकाजा भी है। यही भाईचारा है कि हर इंसान एक दूसरे के दुख दर्द में काम आए।

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