बेटे का धर्म निभा रहीं गम में डूबी बेटियां
विभूतिपुर प्रखंड के पतलिया गांव की एक पुत्री ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। इस तरह उसने पुत्र के धर्म का निर्वाह किया है। बताया जाता है कि वह अपने माता-पिता के साथ गुरुग्राम में रहती थी। अपने पिता के श्राद्ध कर्म के लिए वह अपने गांव पतेलिया आई है।
समस्तीपुर । विभूतिपुर प्रखंड के पतलिया गांव की एक पुत्री ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। इस तरह उसने पुत्र के धर्म का निर्वाह किया है। बताया जाता है कि वह अपने माता-पिता के साथ गुरुग्राम में रहती थी। अपने पिता के श्राद्ध कर्म के लिए वह अपने गांव पतेलिया आई है। बताया गया है कि गांव के राजीव कुमार सिंह गुरुग्राम स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत थे। उनकी अपनी छोटी सी दुनिया थी। उन्हें मात्र दो बेटियां ही हैं। वे अपने छोटे से परिवार के साथ गुरुग्राम में रह रहे थे। इसी बीच वे कोरोना पॉजिटिव हो गए। गुरुग्राम के एक अस्पताल में 1 मई को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इससे परिवार में कोहराम मच गया। ऐसी परिस्थिति में फूट- फूट कर रोती हुई अपनी मां को बेटियों ने सहारा दिया और पिता को मुखाग्नि देने का मन बना लिया। वहां उपस्थित स्वास्थ्य विभाग एवं नगर निगम के कर्मचारियों ने इन दोनों बच्चियों की हौसला अफजाई कर ढांढस बंधाया। तब तक कुछ परिचित लोग भी आ गए थे। बड़ी बेटी यशिता वत्स ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। वह सातवीं वर्ग की छात्रा है। उसके साथ उसकी बहन 7 वर्षीया यशस्वी वत्स भी थी। पटेलिया गांव के शिक्षक लक्ष्मी नारायण सिंह ने बताया कि इस विषम परिस्थिति में यशिता ने अपने पिता को मुखाग्नि देकर अपना फर्ज निभाया है। वह अपने पिता का श्राद्ध कर्म करने के लिए गांव पहुंची है। इस संबंध में उनके रिश्तेदार शैलेंद्र कुमार तिवारी बताते हैं कि वह वहां थे। उन्होंने बताया राजीव को 15 अप्रैल को बुखार हुआ था। 18 अप्रैल को जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आयी। इसके बाद उन्हें होम आइसोलेशन में रखा गया। ऑक्सीजन की कमी के कारण गुरुग्राम के आरबीबी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां उनका निधन हो गया।