कोरोना का कहर, फूलों के महकते कारोबार पर असर

कभी जाफरानी और रजनीगंधा की खुशबू संग सजता था फूलों का बाजार। कई रंगत लिए गुलाब और इनके बीच गेंदा सदाबहार। पर कोरोना और लॉकडाउन के कारण इनकी खुशबू गायब रही। न कोई उत्सव न ही समारोह पूछता कौन? मंदिरों के साथ अन्य धाíमक स्थलों के कपाट बंद। होटल व रेस्टोरेंट में भी ताले लटके रहे। ये फूल खेतों में उपेक्षित रह गए। खेतों में सूखता देख उत्पादकों और कारोबारियों के चेहरे मुरझा गए।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 12:28 AM (IST) Updated:Sat, 06 Jun 2020 12:28 AM (IST)
कोरोना का कहर, फूलों के महकते कारोबार पर असर
कोरोना का कहर, फूलों के महकते कारोबार पर असर

समस्तीपुर । कभी जाफरानी और रजनीगंधा की खुशबू संग सजता था फूलों का बाजार। कई रंगत लिए गुलाब और इनके बीच गेंदा सदाबहार। पर, कोरोना और लॉकडाउन के कारण इनकी खुशबू गायब रही। न कोई उत्सव, न ही समारोह, पूछता कौन? मंदिरों के साथ अन्य धाíमक स्थलों के कपाट बंद। होटल व रेस्टोरेंट में भी ताले लटके रहे। ये फूल खेतों में उपेक्षित रह गए। खेतों में सूखता देख उत्पादकों और कारोबारियों के चेहरे मुरझा गए।

जिले के विभूतिपुर, रोसड़ा, पूसा, उजियारपुर समेत कई प्रखंडों में होनेवाली फूलों की खेती बर्बाद हो गई। बाहर से आनेवाले वाली फूलों की खेप भी रोक दी गई। आर्डर रद कर दिए गए। शादी-ब्याह के मौसम में ठप रहा कारोबार

लॉकडाउन के कारण शादियां स्थगित कर आगे के लिए टाल दी गईं। करीब तीन महीने के लॉकडाउन में जिले में फूल और इससे जुड़े अन्य व्यवसाय में करीब दो करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित हुआ। जिले के फूल बाजार में पश्चिम बंगाल से अधिकतर फूलों की खेप आती है। स्थानीय इलाकों से भी कुछ उत्पादक फूलों की आपूíत करते हैं। फूल डेकोरेशन का काम करनेवाले मन्नान कहते हैं कि इस दौर के बाजार में जो फूल पहले 100 रुपये प्रति स्टिक खरीदे जाते थे, उन फूलों को आज 50 रुपये प्रति स्टिक में भी खरीदने वाला कोई नहीं मिल रहा। मंडप, गाड़ी या स्टेज डेकोरेशन का काम भी प्रभावित रहा। डेकोरेटर बेरोजगार हो गए। मंदिरों के कपाट बंद, सूने पड़े फूलों के स्टॉल

शहर के थानेश्वर मंदिर के पास फूलों का स्टॉल लगाने वाले विनय बताते हैं कि लॉकडाउन में मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रहे। जिले के कई अन्य मंदिरों में भी यही स्थिति रही। वहां फूलों की दुकान लगानेवालों का धंधा तीन महीने प्रभावित रहा। इस अंतराल में मंदिरों में शादी-ब्याह के अलावा कई प्रमुख त्योहार भी गुजर गए। यहां फूलों की एक दर्जन से अधिक दुकानें हैं, जहां कमोबेश पांच से सात हजार का प्रतिदिन का व्यवसाय होता है। लेकिन, इस दौर में फूलों की बिक्री प्रभावित रही। एक महीने के लगन में भरपाई की कोशिश

राजखंड के किसान विक्की, रोसड़ा के रामकिकर वर्षों से गेंदे की खेती करते हैं। विक्की की मोहनपुर में फूलों की दुकान है। बताते हैं कि खेती में प्रति कट्ठा पांच से आठ हजार रुपये खर्च आता है। लॉकडाउन के कारण पूरी फसल बेकार चली गई। 15 रुपये वाली गेंदे की लड़ी आठ रुपये में बेचनी पड़ रही। हालांकि, वे अनलॉक वन के बाद टू को लेकर आशान्वित हैं। कहते हैं कि मंदिर खुल रहे। एक महीने का लगन भी मिल जाएगा। इसी में कुछ भरपाई हो जाएगी।

chat bot
आपका साथी