जिले में सुस्त पड़ा स्वच्छ भारत अभियान

केन्द्र एवं राज्य सरकार हर गांव को ओडीएफ करने के लिए व्यापक रुप से अभियान चला रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Nov 2018 11:25 PM (IST) Updated:Wed, 21 Nov 2018 11:25 PM (IST)
जिले में सुस्त पड़ा स्वच्छ भारत अभियान
जिले में सुस्त पड़ा स्वच्छ भारत अभियान

समस्तीपुर । केन्द्र एवं राज्य सरकार हर गांव को ओडीएफ करने के लिए व्यापक रुप से अभियान चला रही है। केन्द्र सरकार के द्वारा जहां स्वच्छ भारत अभियान चलाया जा रहा है, वहीं राज्य सरकार की ओर से लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत घर-घर शौचालय बनाने को लेकर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। लेकिन पिछले छह महीने में इस अभियान की गति काफी सुस्त पड़ गई है। स्वच्छता अभियान का हाल यह है कि जिले के 20 में से महज 2 प्रखंड ही ओडीएफ घोषित किए गए हैं। जबकि 31 अक्टूबर तक जिले को पूरी तरह ओडीएफ घोषित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। अब 31 दिसंबर तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

जानकारी के अनुसार केन्द्र एवं राज्य सरकार के द्वारा पूरे जिले को ओडीएफ घोषित करने को लेकर शुरुआत में जबरदस्त अभियान चलाया गया। इस अभियान को गांव-गांव में चलाकर लोगों को जागरुक किया गया। जिलाधिकारी से लेकर पंचायत के मुखिया तक ने इस अभियान को गति देने का संकल्प लिया। जागरुकता अभियान का असर भी हुआ। जिले का पूसा प्रखंड सबसे पहले ओडीएफ घोषित किया गया। जबकि बाद में ताजपुर प्रखंड को ओडीएफ घोषित किया गया। लेकिन बाकी प्रखंडों की हालत अत्यंत ही खराब है। 18 प्रखंडों के सभी पंचायत इस साल के अंत तक घोषित हो भी पाएंगे या नहीं, कहा नहीं जा सकता है।

जिले में कुल 381 पंचायत हैं। इसमें से 32 पंचायतों को ओडीएफ घोषित किया गया है। जबकि 249 पंचायत आज भी खुले में शौचमुक्त नहीं हो सके हैं। प्रशासन के लिए यह चुनौती बन गई है। जब तक जिले का प्रत्येक पंचायत ओडीएफ नहीं घोषित हो जाता, तब तक जिले को ओडीएफ घोषित नहीं किया जा सकता है। जिला प्रशासन ने अब साल के अंत तक सभी प्रखंडों को ओडीएफ घोषित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

जिले के पांच प्रखंड ओडीएफ घोषित होने की कतार में है। उजियारपुर, सरायरंजन, विद्यापतिनगर, मोरवा एवं मोहिउद्दीननगर प्रखंड में निर्धारित लक्ष्य को पूरा किया चुका है। जबकि अन्य प्रखंड लक्ष्य से महज थोड़ा पीछे है। बताया जा रहा है कि करीब साढे चार लाख शौचालय का निर्माण कराया जाना था। जिसमें करीब करीब पौने तीन लाख शौचालय का निर्माण हो चुका है। करीब एक लाख शौचालय का निर्माण होना अभी बाकी है। इसके पूरा होते ही जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया जाएगा।

ओडीएफ के मामले में शिवाजीनगर प्रखंड सबसे निचले पायदान पर है। इस प्रखंड के एक भी पंचायत को ओडीएफ घोषित नहीं किया गया है। जबकि अन्य प्रखंडों में एक-दो पंचायत ओडीएफ घोषित हो चुके हैं। हालांकि विभिन्न प्रखंडों के अधिकांश पंचायत ओडीएफ घोषित होने की स्थिति में पहुंच गए हैं। परंतु जब तक घोषित नहीं किया जाता, तब तक उसे नही मानकर ही चला जाएगा।

सरकार के द्वारा शौचालय निर्माण कराने पर 12 हजार रुपये की राशि प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान की जाती है। परंतु इसमें बिचौलिए हावी है। अधिकांश प्रखंडों से यह शिकायत आ रही है कि प्रोत्साहन राशि दिलाने के नाम पर दो हजार रुपये की राशि बिचौलिए पहले ले लेते हैं। जब तक राशि नहीं ले लेते तब तक जियो टैग नहीं किया जाता है। इसमें निचले स्तर के जनप्रतिनिधियों की भी संलिप्तता सामने आ रही है। शौचालय निर्माण के बाद भी कई माह तक भुगतान नहीं होने के कारण भी इसकी गति पर असर पड़ा है।

डीएम चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि जिले को ओडीएफ घोषित करने को लेकर अभियान चल रहा है। सभी अधिकारियों के द्वारा इसकी निरंतर मानीटिरंग की जा रही है। लगभग पांच प्रखंड जल्द ही ओडीएफ घोषित हो जाएंगे। जबकि शेष प्रखंडों को दिसंबर में ओडीएफ घोषित कर दिया जाएगा। सरकार एवं जिला प्रशासन इसको लेकर पूरी तरह संकल्पित है।

chat bot
आपका साथी