लॉकडाउन में पक्षियों के दाना-पानी की चिता

कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बीच हर किसी को खुद की चिता है। लोग दवाओं के साथ सलामती की दुआएं कर रहे। ऐसी विषम परिस्थिति में समस्तीपुर के विभूतिपुर निवासी शशि भूषण प्रसाद पक्षियों के लिए प्रतिदिन दाना-पानी की व्यवस्था कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 12:57 AM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 12:57 AM (IST)
लॉकडाउन में पक्षियों के दाना-पानी की चिता
लॉकडाउन में पक्षियों के दाना-पानी की चिता

समस्तीपुर । कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बीच हर किसी को खुद की चिता है। लोग दवाओं के साथ सलामती की दुआएं कर रहे। ऐसी विषम परिस्थिति में समस्तीपुर के विभूतिपुर निवासी शशि भूषण प्रसाद पक्षियों के लिए प्रतिदिन दाना-पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। मानाराय टोल स्थित घर के समीप एक किराना दुकान चलाते हैं। लॉकडाउन अवधि में हर रोज कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक दुकान खोलते और बंद करते है। अन्य सामाग्री के अलावा बाजार से थोक भाव में दाना व नमकीन भी मंगवाते हैं। जिसकी प्रतीक्षा पक्षियों के उस झुंड को बखूबी रहती है, जो आसमान में उम्मीदों के सहारे मंडराते हैं। शशि भूषण पक्षियों को आवाज लगाते हुए दाना-पानी लेकर सुबह के वक्त हाजिर होते हैं।उनके बुलावे पर वे मिनटों में ही पक्षियों से घिरे जाते। इन बेजुबानों के भूख-प्यास बुझाने शाम को एक बार फिर दाना-पानी डाला जाता है। इस पर प्रतिदिन 200 रुपये तक खर्च कर रहे हैं। यह दूसरों के लिए भी अनुकरणीय है। इनका कहना है कि जीवों की सेवा करना सकूनदायक है। कोरोना काल से पहले भी पक्षियों को दाना डालने के बाद हीं खुद भोजन करते थे। ग्रामीण लाल बहादुर पंडित, अनुभव राय, गौरव कुमार झा, मुकेश कुमार, दिनेश कुमार दिनकर, शिक्षक नरेन्द्र पंडित आदि इनकी प्रशंसा करते हैं। कहते हैं कि पशु-पक्षियों से इंसान के बेइंतेहा प्रेम के दिलचस्प किस्से हैं। मगर, इनका प्रेम अनूठा और निराला है। कोरोना काल में हमें चिता सिर्फ इंसानों की नहीं, बल्कि बेजुबानों की भी करनी चाहिए।

वर्जन

तीव्र गति से बदलते परिवेश में पर्यावरण की दुर्गति हुई है। पशु - पक्षियों के प्रजाति विलुप्त हो रहे हैं। जैव विविधता को सहेजने के लिए शशि भूषण प्रसाद का प्रयास सराहनीय है।

धीरज कुमार, बीडीओ विभूतिपुर

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