बलुआही पोखर को फिर दिलाएंगे पुरानी पहचान, किया श्रमदान
समस्तीपुर।दल¨सहसराय अनुमंडल के बसढिया मध्य विद्यालय के पास बलुआही पोखर में कभी गांव की महिलाएं स्नान करती थी और अपने कपड़े धोती थी। दल¨सहसराय अनुमंडल के बसढिया मध्य विद्यालय के पास बलुआही पोखर में कभी गांव की महि
समस्तीपुर। दल¨सहसराय अनुमंडल के बसढिया मध्य विद्यालय के पास बलुआही पोखर में कभी गांव की महिलाएं स्नान करती थी और अपने कपड़े धोती थी। लेकिन, वर्तमान में इस पोखर में घरों से निकलने वाले नाली का पानी बहाया जा रहा है। स्थानीय ग्रामीण कहते हैं कि इस बलुआही पोखर में छठ पूजा को लेकर सीमेंटेड घाट बनाया गया था। लेकिन प्रशासनिक स्तर से लेकर स्थानीय स्तर पर लोगों की उपेक्षा के कारण इस पोखर का अस्तित्व खतरे में है। जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई, पानी के लिए ट्यूबवेल लगने लगे। तालाब पर ध्यान कम होता गया। अब तालाब का संरक्षण एक बड़ी चुनौती बन गई है। स्थानीय लोग तालाब के संरक्षण में सरकार से सहयोग चाहते हैं। बावजूद मंगलवार को बसढिया के बैगन चौक के ग्रामीणों ने'दैनिक जागरण'की जन जागृति अभियान के तहत बलुआही पोखर की सफाई की। साथ ही संकल्प लिया की इस पोखर के अस्तित्व को बचाते हुए उसी रुप में बनाएंगे जैसा दस साल पहले था।
ग्रामीण राम जीवन ¨सह ने कहा कि चालीस साल पहले हम तालाब का पानी फिटकिरी डाल कर पीते थे। लेकिन अब तालाब विलुप्त होने के कगार पर है। सरकार को तालाबों के संरक्षण के लिए नीति बनानी चाहिए। वहीं हमें भी जागरुक होने की जरूरत है। ग्रामीण श्याम सुंदर ¨सह
ने कहा कि बलुआही पोखर को हम वर्षो से देखते आ रहे हैं। कभी यह तालाब बारिश के पानी से लबालब भर जाता था। लोग इसका इस्तेमाल करते थे। ऐसे में हम ग्रामीणों को इसे साफ करने और कूड़ा-कचरा न फेंकने का संकल्प लेकर इस अभियान में साथ देना चाहिए। ग्रामीण दीपक सिंह ने बताया कि तालाब में बारिश और ट्यूबवेल का पानी जमा होता है, लेकिन इसे स्वच्छ रखने के लिए कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। यह तालाब क्षेत्र की पहचान है। यहां मवेशी पानी पीते हैं। तालाब के किनारे वृक्ष के छांव में लोग आराम करते हैं। तालाब का संरक्षण तभी संभव है, जब सरकार के साथ-साथ क्षेत्र के लोग भी जागरूक हों।