पूसा से गेहूं की नई वेरायटी का अनुमोदन

कृषि के लिए मौसम के बदलते मिजाज और पानी एक बहुत बड़ी चुनौती है। इसे स्वीकार करते हुए हमें उस दिशा में अनुसंधान करने की जरूरत है। जो समय के अनुकूल और कम पानी में अधिक से अधिक उत्पादन ले सकें।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Oct 2019 01:23 AM (IST) Updated:Sat, 19 Oct 2019 01:23 AM (IST)
पूसा से गेहूं की नई वेरायटी का अनुमोदन
पूसा से गेहूं की नई वेरायटी का अनुमोदन

समस्तीपुर । कृषि के लिए मौसम के बदलते मिजाज और पानी एक बहुत बड़ी चुनौती है। इसे स्वीकार करते हुए हमें उस दिशा में अनुसंधान करने की जरूरत है। जो समय के अनुकूल और कम पानी में अधिक से अधिक उत्पादन ले सकें। ये बातें डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कुलपति डॉ. आरसी श्रीवास्तव ने कहीं। वे विद्यापति सभागार में आयोजित तीन दिवसीय अनुसंधान परिषद की बैठक के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ऐसे अनुसंधान में किसानों के साथ मिलकर प्रयासरत हैं, उन्हें सफलता भी मिल रही। किसानों की समस्या एवं समाज की जरूरतों को ध्यान में रखकर ही अनुसंधान होना चाहिए। आनेवाले समय में कृषि में बड़े बदलाव होने की उम्मीद है। खेती योग्य भूमि की कमी भी हो रही है, हमें इन सभी समस्याओं को समाधान में रखकर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में 36 अनुसंधान परियोजना आइसीएआर से वित्त पोषित एवं एक्टर्स अनुसंधान परियोजना पर विज्ञान के बीच काफी चितन मंथन किया गया।

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मकका व धान के प्रबंधन तकनीक पर भी चर्चा

अनुसंधान परिषद की बैठक में गेहूं की एक वैरायटी रिलीज की गई। वहीं, एक तकनीक विकसित की गई है। गेहूं के डब्ल्यू-02 वेरायटी जो बायोफोर्टीफाइड, जिसमें जिक और आयरन की अधिकता है, का अनुमोदन रिसर्च काउंसिल से किया गया है। अब इसे राज्य स्तर पर रिलीज के लिए भेजा जाएगा। इसके अतिरिक्त मक्का और खरीफ धान में जुताई एवं पोषक तत्व प्रबंधन की तकनीक पर अनुसंधान परिषद की बैठक में चर्चा की गई है। इस तकनीक से धान के उत्पादन में 12-73 फीसद की वृद्धि होती है, जबकि कुल लाभ 32 फीसद अधिक होता है। इसी तरह मक्के में 12:3 प्रतिशत ज्यादा तथा कुल लाभ में 34 फीसद ज्यादा की वृद्धि होती है।

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कुलपति को बताया ऊर्जावान, देंगे नई दिशा

अनुसंधान परिषद के समापन समारोह में विधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय, कल्याणी वेस्ट बंगाल के पूर्व अनुसंधान निदेशक डॉक्टर एसके नसर एवं डॉ एके शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक बहुत ही अच्छा कार्य कर रहे हैं। उम्मीद है कि विश्वविद्यालय के ऊर्जावान कुलपति डॉ. रमेशचंद्र श्रीवास्तव के नेतृत्व में लोग देश और दुनिया के कृषि को नई दिशा देंगे। मौके पर निदेशक अनुसंधान डॉ. मिथिलेश कुमार सहायक निदेशक डॉ. एनके सिंह, शिक्षा निदेशक डॉ. एन झा, अभियंत्रण कॉलेज के अधिष्ठाता अमरीश कुमार, कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि विज्ञान केंद्र के नोडल पदाधिकारी डॉ. बृज किशोर शाही, डॉ. कुमार राजवर्धन सहित विश्वविद्यालय के सभी संबंधित वैज्ञानिक अधिष्ठाता एवं निदेशक मौजूद थे।

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