अमृत के समान है देसी गायों का पंचगव्य
रोसड़ा के श्री गोशाला में रविवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया।
समस्तीपुर। रोसड़ा के श्री गोशाला में रविवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने देसी गायों के पंचगव्य व औषधियों के स्वास्थ्य में उपयोग पर परिचर्चा की। राजनगर मधुबनी से आए पंचगव्य शोधकर्ता पुरुषोत्तम पूर्वे ने कहा कि देसी गायों के दूध, दही, घी, गोमूत्र एवं गोबर से निर्मित पंचगव्य अमृत के समान है। इसके लगातार उपयोग से मनुष्य कई रोगों से मुक्त रहता है। साथ ही, लोगों के अंदर जीवनीशक्ति में बढ़ोतरी तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होता है। कहा कि देसी नस्लों के गायों के पंचगव्य का कोई विकल्प नहीं है। गो पालन से मनुष्य के अंदर मानवीय गुणों में वृद्धि होती है। गो मूत्र से तैयार कीटनाशक को फसलों की रक्षा के लिए अत्यंत उपयोगी है। गाय के गोबर से जैविक खाद निर्माण होता है। गोशाला के सचिव फुलेंद्र कुमार सिंह ने गोशाला के विकासात्मक कार्यों के अलावा जैविक विधि से खेती कर कम लागत में अच्छी फसल अर्जित करने के तौर-तरीके को बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता गोशाला के कोषाध्यक्ष रामेश्वर पूर्वे ने की। मौके पर सुधीर प्रसाद, मनोज कुमार, महेंद्र पूर्वे, ब्रह्मदेव मिश्र, नरेश महतो, जगन्नाथ चौरसिया, विजय कुमार निराला, मनोज कुमार झा, चंदा कुमारी, हीरा देवी, शिव कुमार पोद्दार, जगदीश महतो, लालन प्रसाद साहू, कुमार गोपी सिंह, सरोज कुमार सिंह मौजूद रहे।