परिवार की चिता छोड़ 24 घंटे कर्तव्य में जुटी रहती थी कंचन

सहरसा। कोरोना का नाम सुनकर जब लोग डर जाते थे उस दौर में भी जिला स्वास्थ्य समिति में कार्य

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Mar 2021 05:46 PM (IST) Updated:Sat, 06 Mar 2021 05:46 PM (IST)
परिवार की चिता छोड़ 24 घंटे 
कर्तव्य में जुटी रहती थी कंचन
परिवार की चिता छोड़ 24 घंटे कर्तव्य में जुटी रहती थी कंचन

सहरसा। कोरोना का नाम सुनकर जब लोग डर जाते थे, उस दौर में भी जिला स्वास्थ्य समिति में कार्यरत जिला अनुश्रवण और मूल्यांकन पदाधिकारी कंचन ने अपनी हिम्मत नहीं हारी बल्कि अपने परिवार की चिता को छोड़कर कर्तव्य परायणता की मिसाल कायम की।

कोरोना काल में 24 घंटे लोगों की सेवा से लेकर सरकार और जिला प्रशासन को प्रतिदिन रिपोर्ट भेजने के अलावा कंचन स्वयं आइसोलेशन सेंटर और प्रवासी मजदूरों के ठहराव स्थल का मुआयना करती रही। यही वजह रही कि पूरे कोरोना काल में एक भी दिन कंचन ने अवकाश नहीं लिया।

जिले में कोरोना के दस्तक देने से पहले ही लॉकडाउन हो गया, लेकिन पहली बार जिले में तीन कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद एक भय का माहौल बनने लगा। स्वास्थ्य महकमा, जिला प्रशासन हरकत में आ गया। जिसमें अहम कड़ी के रूप में कंचन ने भी अपना योगदान दिया।

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खुद कार चलाती है कंचन

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कंचन के हौसले पहले से ही मजबूत हैं। यही वजह रही कि वह कोरोना काल में एक कदम पीछे मुड़कर नहीं देखी। सभी आइसोलेशन केंद्र का मुआयना करती थी और वहां के मरीजों की संख्या का आकलन करती थी। प्रतिदिन जिले के हर केंद्रों पर हो रहे जांच की जानकारी लेकर उसे विभाग के वेब पर अपलोड करना, लगातार वरीय अधिकारी के साथ बैठक कर वस्तुस्थिति से अवगत कराना इनकी दिनचर्या हो गई थी। खास यह कि इस सुदूर इलाके में जहां आज भी महिलाएं वाहन नहीं चलाती है वहां कंचन खुद अपनी कार को चलाकर केंद्रों से लेकर अधिकारियों के यहां पहुंचती थी। जहां भी जरूरत महसूस होता था वो जाकर उसका समाधान करती थी।

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एक दिन भी अवकाश पर नहीं रही

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कोरोना काल से अबतक वो एक दिन भी अवकाश पर नहीं रही। स्वास्थ्य समिति के अन्य सहयोगी का कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी वो काम करती रही। यही नहीं रविवार को भी कार्यालय में रहकर विभाग को पूरी रिपोर्ट देती थी।

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वैक्सीनेशन में भी है अहम भूमिका

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कोरोना का दौर अब भी खत्म नहीं हुआ है। जब कोविड का वैक्सीन आया तो कंचन की भूमिका और बढ़ गई। वैक्सीन के शुभारंभ से लेकर उसके रखरखाव तक में इन्होंने अपना अहम योगदान दिया। वैक्सीनेशन सेंटर पर खुद मौजूद रहकर लोगों को टीका लगाने के लिए प्रेरित करने के साथ ही कोविन एप पर इसे अपलोड भी करती रही।

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लोगों को करती रही जागरूक

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सेवा के साथ लोगों को कोरोना से डरे नहीं लड़े के लिए जागरूक करती रही। आइसोलेसन केंद्र में भर्ती मरीजों का हौसला भी बढ़ाती रही। यही वजह रहा है कि इनके कार्य की प्रशंसा सिविल सर्जन व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों कर रहे हैं।

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