हर घर तक पहुंच गया वर्षा का जल
सहरसा। सरकार द्वारा घोषित हर-घर नल का जल योजना अभी सहरसा जिले में मूर्त रूप नहीं ले सका है परंतु वर्षा के जल के साथ प्रमंडलीय मुख्यालय के घर-घर तक नालियों का कीड़ा और गंदा कचरा भी पहुंचने लगा है।
सहरसा। सरकार द्वारा घोषित हर-घर नल का जल योजना अभी सहरसा जिले में मूर्त रूप नहीं ले सका है, परंतु, वर्षा के जल के साथ प्रमंडलीय मुख्यालय के घर-घर तक नालियों का कीड़ा और गंदा कचरा भी पहुंचने लगा है। नगर का टैक्स चुकानेवाले वे लोग खुशकिस्मत हैं, जिन्हें अबतक इसका सामना नहीं करना पड़ा है, परंतु अगल-बगल के लोगों की असहनीय पीड़ा देखकर वे भी भयाक्रांत हैं।
कोसी प्रमंडल मुख्यालय में सड़क पर साइकिल से स्कूली बच्चे पानी में गिर रहे हैं, लोग कंधे पर घरेलू सामान ले जा रहे, बेंच और चारपाई पर चूल्हा रखकर खाना पकाने के लिए मजबूर हो रहे हैं लेकिन शासन-प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा है।
वर्ष 2017 में जिन लोगों ने सहरसा शहर का जलप्रलय देखा, वुडको का नाला और नगरपरिषद के नाला बनने के बाद उन्हें लगा था कि अब शायद वैसा दिन नहीं आएगा। इस वर्ष लगातार बिगड़ रहे हालात ने लोगों को एकबार फिर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। वर्ष 2008 के कुसहा त्रासदी के बाद जिन लोगों ने गांव की जमीन बेचकर सहरसा में आशियाना बनाया था, उन्हें भी अपने उस फैसले पर पछतावा हो रहा है। गांवों से भी बदत्तर स्थिति में सहरसा नगर पहुंच चुका है। शहर के गली-मुहल्ले की कौन कहे, मुख्य सड़कों पर भी घुटना भर से अधिक पानी लगा है। न्यू कालोनी, विद्यापति नगर, गौतम नगर, बटराहा, सराही, हाथी दास आदि मुहल्ले में लोग पूरी तरह जल कर्फ्यू के कारण घरों में कैद हैं। बाहर वही निकल रहे हैं, जिन्हें इसके बिना कोई काम नहीं चल रहा है। परंतु, यह समस्या तो निरीह जनता की है, लक्जरी गाड़ियों की सवारी करनेवाले नेताओं व अधिकारियों को इससे फर्क ही क्या पड़ता है ?
पानी की निकासी के नाम पर वुडको से लेकर नगरपरिषद ने पानी की तरह ही पैसा बहा दिया, परंतु नगर का गली- गली जलमग्न है, लोग त्राहिमाम कर रहे हैं। नालियों का निर्माण तो सिर्फ लूट की मंशा से हुई थी। बारिश का पानी और नालियों का गंदा पानी एक साथ बह रहा है। गायत्री नगर, प्रताप नगर, हटियागाछी, कृष्णा नगर आदि मोहल्ले में मई माह से अबतक पानी सूख नहीं पाया है। नगरीय क्षेत्र के लोगों को वर्ष 2017 के जलप्रलय का खौफ एकबार फिर सताने लगता है। हर मोहल्ले के लोग अपने का लाचार और असहाय महसूस कर रहे हैं।
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2017 में पंपिग सेट से निकाला गया था पानी
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2017 में भारी बारिश के बाद जलजमाव से शहर में त्राहिमाम मचा था। उस वक्त तत्कालीन जिलाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल के निर्देश पर नगर परिषद द्वारा जल जमाव प्रभावित मुहल्लों में पंपिग सेट लगवाया गया था। लगभग एक सौ पंप सेट विभिन्न मुहल्लों में लगवाया गया था। जबकि पटना से बड़ा पंप सेट मंगवाकर पोलिटेक्निक के समीप लगा कर पानी को दूसरी ओर फेंका गया था। लगभग एक सप्ताह के अथक प्रयास के बाद शहर को जलजमाव से मुक्ति मिली थी।
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सरकारी क्वार्टर की तरफ निकला था न्यू कालोनी का पानी
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2017 में न्यू कालोनी से पंप सेट लगाकर सरकारी क्वार्टर की तरफ पानी फेंका गया था। इस इलाके की जमीन बलुआही होने के कारण सरकारी कर्मियों के क्वार्टर में पानी नहीं लगा था। लगभग एक सप्ताह के परिश्रम के बाद जलजमाव से लोगों को निजात मिली थी।