शहर में फिर दिखने लगा जल का खौफ
सहरसा। वर्ष 2017 में जिन लोगों ने सहरसा शहर का जलप्रलय देखा है उन्हें वर्तमान मानसून की बारिश ने एकबार फिर खौफ में ला दिया है। सोमवार को तकनीकी विभागों की बैठक में मंत्री से लेकर जिलाधिकारी ने इस समस्या पर गहरी चिता जताई।
सहरसा। वर्ष 2017 में जिन लोगों ने सहरसा शहर का जलप्रलय देखा है, उन्हें वर्तमान मानसून की बारिश ने एकबार फिर खौफ में ला दिया है। सोमवार को तकनीकी विभागों की बैठक में मंत्री से लेकर जिलाधिकारी ने इस समस्या पर गहरी चिता जताई। प्रमंडलीय मुख्यालय सहरसा का अभी कोई भी ऐसा मुहल्ला नहीं है, जहां लोग सूखी सड़क पर चलने की स्थिति में हैं। गली-मुहल्ले की कौन कहे, मुख्य सड़कों पर भी घुटना भर से अधिक पानी लगा है। न्यू, विद्यापति नगर, गौतम नगर, बटराहा, सराही, हाथी दास आदि मुहल्ले में लोग पूरी तरह जल कर्फ्यू के कारण घरों में कैद हैं। बाहर वही निकल रहे हैं, जिन्हें इसके बिना कोई काम नहीं चल रहा है। आमलोगों में त्राहिमाम मचा है, परंतु जिले के उन जनप्रतिनिधियों को क्या, जिन्हें सड़क पर पैदल चलने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
वुडको द्वारा 51 करोड़ की लागत से बनाए गए नाला की तकनीकी खामियों व पंपिग स्टेशन का निर्माण अबतक पूरा नहीं होने के कारण यह नाला खास कारगर का साबित नहीं हुआ। वहीं नगर परिषद द्वारा नालियों के निर्माण पर व्यापक अनियमितता रही है। कहीं नालियां सड़क से ऊंची बना दी गई, तो कहीं नालियों को एक दूसरे से समन्वय नहीं कराया गया, फलस्वरूप यह नालियां ठेकेदारों व अभियंताओं के लिए भले ही काफी हितकर साबित हुई, परंतु आमलोगों की समस्या उसी तरह बनी रह गई। पूर्व में नगर परिषद से बनी छह बड़ी और 21 छोटी नालियों की नियमित सफाई नहीं होने के कारण इन नालियों में भी उफान आ गया है। बारिश का पानी और नालियों का गंदा पानी एक साथ बह रहा है। गायत्री नगर, प्रताप नगर, हटियागाछी, कृष्णा नगर आदि मोहल्ले में मानसून के पूर्व हुई बारिश का पानी भी निकासी के कारण अबतक सूख नहीं पाया है। नगरीय क्षेत्र के लोगों को वर्ष 2017 के जलप्रलय का खौफ एकबार फिर सताने लगा है। विगत एक सप्ताह से बारिश नहीं हो पाने के कारण स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ था, परंतु सोमवार से प्रारंभ बारिश से एकबार फिर लोगों को भयभीत कर दिया है।