जीवनी शक्ति के संयोजन से होगा विकास: डा. अरूण
संस सहरसा रविवार को को गायत्री शक्तिपीठ में व्यक्तित्व परिष्कार सत्र आयाजित हुआ। सत्र को संबोधित करते हुए ट्रस्टी डा. अरूण कुमार जायसवाल ने कहा कि जीवन में जो भी शक्तियां हमें प्रकृति व परमात्मा ने दी है उसका अगर सही नियोजन करते हैं तो हमारा विकास होता है।
संस, सहरसा: रविवार को को गायत्री शक्तिपीठ में व्यक्तित्व परिष्कार सत्र आयाजित हुआ। सत्र को संबोधित करते हुए ट्रस्टी डा. अरूण कुमार जायसवाल ने कहा कि जीवन में जो भी शक्तियां हमें प्रकृति व परमात्मा ने दी है उसका अगर सही नियोजन करते हैं तो हमारा विकास होता है। अगर शक्तियां अनियोजित होती है तो हमारा विनाश होगा। कहा कि मनुष्य का जीवन तीन तरह से परिभाषित होती है। पहला-शरीर यानि हमारी जीवन शक्ति और हमारी क्रिया शक्ति। दूसरा प्राण अर्थात भाव शक्ति या प्रेम शक्ति। अगर प्रेम है तो रिश्ता बना सकता हैं, और निभा सकते हैं। तथा तीसरा- है हमारा मन यानि हमारी विचार शक्ति और चितन शक्ति। हम अपने व्यक्तित्व को इसी रूप में जानते हैं। अगर हम इन तीन चीजों का उपयोग नहीं कर पाए, अगर दिनचर्या सही ढंग से नहीं कर पाए तो ,शरीर बीमार होता चला जाएगा। उसी तरह भावनाओं का सही प्रबंधन नहीं कर पाए तो, हमारे जीवन में तनाव होगा और हम अकेला हो जाएंगे। कहा कि अगर चितन शक्ति का सही ढंग से नियोजन नही कर पाए तो, हमारी दिशाएं हीं भटक जाएगी। हमारा जीवन अस्त व्यस्त हो जाएगा। उन्होंने योग प्रणायाम के संबंध में कहा कि प्राणायाम शरीर को ऊर्जा देती है। जीवनी शक्ति को बढ़ाता है। इस अवसर पर जयपुर से आए पी कावरा और उसकी धर्म पत्नी ने रूद्राभिषेक और हवन किया। मौके पर ललन कुमार सिंह, पपू गनेरीवाल,रामचन्द्र सिंह, हरेकृष्ण साह, नवल सिंह, भगत मोहन,दिनेश कुमार दिनकर तथा श्यामानन्द लाल दास आदि उपस्थित रहे।