नहीं लौटे परदेश, गांव में शुरू किया अपना कारोबार
सहरसा। नवहट्टा पश्चिम पंचायत के रहने वाले कुंदन दिल्ली में निजी कंपनी में नौकरी करता था लेि
सहरसा। नवहट्टा पश्चिम पंचायत के रहने वाले कुंदन दिल्ली में निजी कंपनी में नौकरी करता था, लेकिन कोरोना ने उसकी नौकरी छीन ली। गांव लौटा तो आर्थिक तंगी शुरू हुई, किंतु उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने फिर से दिल्ली नहीं जाने की ठान ली और गांव में ही रेडीमेड कपड़े का व्यवसाय शुरू किया। आज उसकी जिदगी की गाड़ी फिर से चल पड़ी है।
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प्राइवेट कंपनी में था समन्वयक
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नवहट्टा के निवासी राधेश्याम चौधरी का पुत्र कुंदन कॉमर्स से स्नातक के परीक्षा पर उत्तीर्ण कर नौकरी की तलाश दिल्ली गये थे। दिल्ली के कालकाजी स्थित एक प्राइवेट कंपनी स्कीन इंसेनटाइल्स में ऑफिस समन्वयक के पद पर वर्ष 2014 से कार्य कर रहे थे। पूरे परिवार के साथ दिल्ली में ही रहने लगे। इन्हें 35 हजार की पगार मिलती थी, लेकिन कोरोना काल के समय कंपनी बंद हो गई जिसके बाद इनकी भी नौकरी चली गई।
दिल्ली में कोरोना के दौरान अफरा तफरी के बीच पूरे परिवार के साथ ट्रक से किसी तरह गांव पहुंचे, लेकिन उस दौरान हुई परेशानी और कष्ट के कारण उन्होंने दिल्ली वापस लौटने का विचार दिल से निकाल दिया, लेकिन आर्थिक हालत खराब होने के बाद उन्होंने हार नहीं मानी।
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गांव में खोल लिया रेडिमेड दुकान
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गांव में कुछ दिनों तक दिल्ली में कमाई के दौरान जुटाए गए धन से परिवार का भरण पोषण होता रहा। कुछ ही माह के बाद बेरोजगारी और पैसे की कमी खलने लगी। आसपास के संस्थानों में नौकरी की तलाश की लेकिन सफल नहीं हुए। किसी तरह से गुजर बसर करने के लिए एक साधारण सा रेडिमेड कपड़े की दुकान खोला जिससे आज स्थिति बेहतर हो गई है। एक लाख की पूंजी से शुरू किया गया दुकान आज भरा पूरा है। उन्होंने कहा कि गांव में रहने का आनंद ही कुछ और है माता पिता की दवा सेवा के साथ बच्चों की पढ़ाई एवं परिवार के दाना पानी का जुगाड़ हो जाता है।