कोरोना ने छीन लिया पालनहार, परिवार पर मुसीबत का पहाड़

सहरसा। कोरोना महामारी के दौरान कई ऐसे लोग मौत के मुंह में समा गए जो अपने परिवार के पा

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 07:44 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 07:44 PM (IST)
कोरोना ने छीन लिया पालनहार, परिवार पर मुसीबत का पहाड़
कोरोना ने छीन लिया पालनहार, परिवार पर मुसीबत का पहाड़

सहरसा। कोरोना महामारी के दौरान कई ऐसे लोग मौत के मुंह में समा गए जो अपने परिवार के पालनहार थे। वही कमाते थे और पूरे परिवार का गुजारा होता था। अब ऐसे कमाऊ लोगों के निधन के बाद उनके आश्रितों पर गम के साथ ही मुसीबतों का भी पहाड टूटा पड़ा है। दुख के सागर में डूबे इन लोगों के सामने सवाल यह है कि अब आगे का जीवन कैसे गुजारा जाएगा। कैसे भरेगा पेट, कैसे कटेगी आगे की जिदगी। कैसे जारी रहेगी बच्चों की शिक्षा। बीते 30 अप्रैल को बिहरा थाना क्षेत्र के रहुआ गांव में ऐसी ही एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। 45 वर्षीय मणिशंकर झा उर्फ गुड्डू झा कोरोना का शिकार हो गए। कोरोना ने उनकी जान ले ली।

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घर का खर्च , इकलौते पुत्र की पढ़ाई का खर्च कैसे भरेगा परिवार

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कोरोना के शिकार हुए रहुआ निवासी मणिशंकर झा की विधवा पत्नी बंदना झा ने रोते हुए अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि 29 अप्रैल को अचानक तबीयत खराब होने पर उन्हें सदर अस्पताल ले जाया गया। जहां बिना उपचार किए ही बेहतर इलाज हेतु अन्य अस्पताल ले जाने को कहा गया। स्थानीय कई निजी अस्पताल का भ्रमण किया मगर बेड खाली नहीं रहने के कारण भर्ती नहीं किया गया। स्थानीय मंत्री के प्रयास से सूर्या हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। मगर 30 अप्रैल को मेरा सुहाग उजड़ गया। उनकी मौत के बाद वे अपने 16 वर्षीय इकलौते पुत्र अनुज कुमार झा के साथ रह रही हैं।उन्हें एक पुत्री भी है जिनकी शादी पूर्व में सिहौल गांव में हो चुकी है। मां और बेटे के समक्ष अब आर्थिक संकट की स्थिति बन गई है। ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ रहे पुत्र अनुज की पढ़ाई जारी रखने हेतु मां चितित व परेशान हैं।

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नहीं मिली है अब तक कोई सरकारी सहायता

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कोरोना का शिकार हुए मणिशंकर झा आर्थिक संकट से उबरने के लिए पहले तो निजी वाहन चलाते थे। उसके बाद उन्होंने खुद एक ऑटो लोन पर लेकर चलाना शुरू किया। जिससे परिवार का भरण-पोषण अच्छे ढंग से चल रहा था। लेकिन उनकी मौत के बाद पुन: इन परिवार पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है। पत्नी ने बताया कि जीवन यापन के लिए इनके पास जमीन भी नहीं है। इंदिरा आवास हो या कोई अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ से ये अबतक वंचित हैं। ग्रामीणों ने कोरोना से हुई मौत पर सरकार द्वारा मिलने वाली चार लाख राशि पीड़ित स्वजनों को दिलाने की मांग जिला पदाधिकारी से की है। ताकि इकलौते पुत्र की पढ़ाई जारी रखने एवं जीवन यापन में मदद मिल सके।

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