बड़ा दरवाजा बताती है बेहट गांव का इतिहास
सोनवर्षा राज प्रखंड मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर बसी देहद पंचायत का बेहट गांव कई इतिहास को समेटे हुए है। महाराजा हरिवल्लभ नारायण सिंह के जमाने से देहद पंचायत अंतर्गत बेहट गांव के मध्य में बड़ा दरवाजा है।
सहरसा। सोनवर्षा राज प्रखंड मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर बसी देहद पंचायत का बेहट गांव कई इतिहास को समेटे हुए है। महाराजा हरिवल्लभ नारायण सिंह के जमाने से देहद पंचायत अंतर्गत बेहट गांव के मध्य में बड़ा दरवाजा है। वर्ष 1901 में स्थापित इस बड़ा दरवाजा का संबंध पौराणिक गाथा से है। यहां मां काली का मंदिर है जो काफी प्रसिद्ध है। बड़ा दरवाजा के पौराणिक गाथा को लेकर बड़घरिया परिवार के शिवानंद झा बताते हैं कि जमींदार हिया झा, लाल झा तथा गोपाल झा के आवास को बड़ा दरवाजा कहा जाता है। इन जमींदारों द्वारा दरवाजे पर आने वाले हर व्यक्ति को भोजन वितरण किया जाता था। यह एक परंपरा थी। लोगों की सेवा की लालसा और परंपरा को चलाने के लिए इन परिवारों ने कर्ज तक लेने से संकोच नहीं किया। इसी क्रम में जिले के पटुआहा स्थित इनकी 400 बीघा जमीन चुन्नी राम नाम के सेठ से कर्ज लेते-लेते उसी की हो गई। हालांकि बदलते समय के साथ अब भोजन वितरण में कमी तो आ गई, लेकिन अब भी उस परिवार के सदस्य किसी जरूरतमंद को खाली हाथ लौटने नहीं देते हैं। वर्तमान में परिवार के सदस्यों द्वारा सामूहिक रूप से बड़ा दरवाजा के साथ मां काली के पुराने मंदिर का जीर्णाेद्धार कराया गया है। दूसरी ओर देहद पंचायत के बेहट ड्योढ़ी परिवार महाराजा हरिवल्लभ नारायण सिंह के रिश्तेदार थे। जमींदारी समय में माता की पूजा-अर्चना धूमधाम से की जाती थी। बेहट के जमींदार बाबू जालिम सिंह के समय में ही सोनवर्षाराज के महाराजा हरिबल्लव नारायण सिंह ने मां दुर्गा को बेहट से सोनवर्षाराज लाए थे। बेहट से माता को लाने के दौरान प्रत्येक कदम पर एक छाग की बलि दी गई थी। इसका प्रमाण आज भी माता की पिडी के रूप में स्थापित है। दशहरा में अष्टमी पूजा और बलि की प्रथा है।
------ पंचायत की समस्या
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देहद पंचायत जल निकासी की समस्या से जूझ रही है। बाढ़ के पानी की निकासी नहीं होने से किसान सिर्फ एक ही फसल कर पाते हैं। वह भी फरवरी माह में जिसकी कोई गारंटी नहीं होती है। पंचायत के अधिकतर लोग खेती पर ही निर्भर हैं। पूरी पंचायत के लगभग 60 फीसद किसान जलजमाव से प्रभावित होते हैं। खेतों में ज्यादा पानी भरने से किसानों को खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान, मक्का और दूसरे फसल भी नहीं कर पाते हैं। इससे किसानों को आर्थिक तंगी बनी रहती है। वार्ड नंबर तीन में रहने वाले लोगों को भी जलनिकासी की व्यवस्था नहीं होने से भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। दूसरी ओर सोनवर्षाराज से देहद होते हुए सहसौल जाने वाली सड़क पिछले 10 वर्षों से जर्जर है।
---- स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति
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स्वास्थ्य सुविधा के लिए देहद पंचायत में एक मात्र स्वास्थ्य केंद्र बेहट गांव स्थित पंचायत भवन में चलाया जाता है। यहां समुचित व्यवस्था नहीं मिलने से लोगों को प्रखंड मुख्यालय स्थित पीएचसी आना पड़ता है।
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मुखिया का दावा
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पंचायत की मुखिया तुम सिंह ने कहा कि पंचायत के विकास के लिए कृतसंकल्पित हूं। श्यामा प्रसाद रूर्बन मिशन से पंचायत के विभिन्न विद्यालय में किचन शेड, शौचालय चहारदिवारी सहित देहद बजरंगबली चौक पर हाईमास्ट लाइट लगाने का कार्य प्रगति पर है। पंचायत सरकार भवन निर्माणाधीन है। लेकिन तीनधारा गांव में अथक मेहनत के बाद भी निजी जमीन रहने के कारण सड़क नही बनने का मलाल है। पंचायत में कुंआ जीर्णोद्धार कार्य भी अंतिम चरण में है। उपलब्ध कराये गये राशि से पंचायत में विकास के कई कार्य किया गया है। पंचायत के कुल 16 वार्डों में गली-नाली योजना से गली मार्ग को पक्कीकरण कर सड़कों का जाल बिछाया गया। नाले का भी निर्माण कराया गया। स्ट्रीट लाइट लगाकर पूरा पंचायत दूधिया रोशनी से जगमगा दिया गया है। लगभग 1600 पेंशनधारियों को लाभांवित किया गया। आवास योजना के तहत 247 भवनविहीन को आवास मुहैया कराया गया। बेरोजगार जॉब कार्ड धारियों को रोजगार मुहैया कराई गई है। जल जीवन हरियाली के तहत 5800 पौधारोपण किया गया है। सिचाई की सुविधा स्टेट बोरिग के द्वारा की जा रही है।
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पंचायत एक नजर में
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पंचायत की आबादी -- 10941
पंचायत में मतदाता-- 7000
साक्षरता दर -- 60 प्रतिशत
आवास की संख्या -- 3500
क्षेत्रफल -- 589 हेक्टयर
मुख्य व्यवसाय -- कृषि
वार्ड की संख्या-- 16
विद्यालय -- 05
उच्च विद्यालय -- 01
आंगनबाड़ी -- 14
शौचालय से लाभान्वित लाभुकों की संख्या -2000
पैंशन योजना से लाभांवित लाभुकों की संख्या- 1600
आवास योजना से लाभांवित लाभुक - 247
पंचायत सरकार भवन -- निर्माणधीन
पशु चिकित्सालय की सुविधा -- नहीं
जल जीवन हरियाली के तहत पौधारोपण -- 5800
सिचाई की सुविधा स्टेट बोरिग के द्वारा
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पंचायत में आज लोग अपने घर तक जाने के लिए थोड़ी बहुत जमीन के लिए आपस में लड़ते हैं। इसे दूर करने के लिए सामाजिक स्तर पर पहल होनी चाहिए, ताकि समाज में भाईचारा बना रहे।
अमित कुमार, युवा
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पंचायत के गरीब बच्चों के भविष्य के लिए शिक्षण व्यवस्था निजी विद्यालय में मिलता है। उससे कहीं बेहतर सुविधा सरकारी विद्यालय को मिले जिससे गरीब के बच्चे भी ऊंचा मुकाम तक पहुंच पाए। साथ ही पंचायत स्तर पर लघु उद्योग लगाया जाय। ताकि बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल सके।
राहुल कुमार चौधरी, युवा
---- पंचायत में सरकारी जमीन पर्याप्त होते हुए भी एक भी श्मशान नहीं बन पाया है। इससे आमजनों को खासकर बाढ़ के समय सड़क किनारे दाह संस्कार करना पड़ता है। वैसे मुखिया ने बेहतर कार्य किया है।
जनेश्वर झा
----- मुखिया ने बेहतर कार्य किया है, लेकिन पंचायत के सरकारी भूमि होने के बाद भी सड़क किनारे बसे महादलित परिवार को बासगीत पर्चा नहीं मिला है । ऐसे लोगों को पर्चा देकर एक टोला बसाने की जरूरत है।
चरित्र सादा
---- मुखिया की देखरेख में पंचायत में अच्छा कार्य हुआ है, लेकिन यहां प्रत्येक साल कोसी की बाढ़ से कई परिवारों को बेघर होना पड़ता है। स्थायी समाधान की जरूरत है।
शंकर मुखिया
---- पंचायत में सभी लोगों को साथ लेकर चलने में सार्थक पहल की गई है। आपसी भाईचारा एवं सौहार्द्रपूर्ण वातावरण रखा गया है। पंचायत में हर दिशा में अच्छा कार्य हुआ है।
सुरेश सादा
----- पंचायत स्तर पर खेल का मैदान, लाइब्रेरी की सुविधा नहीं होने से युवा वर्ग अपनी प्रतिभा को लेकर अक्षम हो जाते है। युवाओं में खेल के लिए लग्न होने के बाद अपनी प्रतिभा को निखारने का मौका नहीं मिलता है।
पिटू कुमार यादव
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प्रमुख हस्ती
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1, गिरजानंद सिंह, लघु सिचाई विभाग समस्तीपुर से सेवानिवृत्त
2, अमरेंद्र कुमार सिंह, एडीएम फारबिसगंज से सेवानिवृत्त
3, गवेंद्र कुमार सिंह, सिविल सर्जन गया से सेवानिवृत्त
4, चुनचुन सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी पूर्णिया से सेवानिवृत्त
5, सुनील कुमार झा, आइआइटी, इंडियन ऑयल
06, देवचंद्र चौधरी, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पटना से सेवानिवृत्त
07 गोरेलाल चौधरी, ग्राम रक्षादल के अध्यक्ष, समाजसेवी