कोरोना में लौटा गांव, लोगों को दिखाई रोजगार की राह

मोहनपुर पंचायत के कुम्हरौली गांव निवासी समीर कुमार पुरानी दिल्ली में बिस्कुट की रेहड़ी लगाकर परिवार का भरण पोषण करते थे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 06:50 PM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 06:50 PM (IST)
कोरोना में लौटा गांव, लोगों को दिखाई रोजगार की राह
कोरोना में लौटा गांव, लोगों को दिखाई रोजगार की राह

सहरसा। मोहनपुर पंचायत के कुम्हरौली गांव निवासी समीर कुमार पुरानी दिल्ली में बिस्कुट की रेहड़ी लगाकर परिवार का भरण पोषण करते थे। कोरोना काल में गांव लौटे और एक छोटे से कमरे में बेकरी का कारोबार शुरू किया। कुछ ही माह में उनकी बेकरी की मांग ग्रामीण इलाके में बढ़ गई। अपने साथ गांव के कुछ लोगों को जोड़ा और साइकिल से गांव-गांव में बिस्कुट पहुंचाने लगे हैं। इस तरह अपने साथ ही उन्होंने लोगों को भी रोजगार की राह दिखाई।

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डिलीवरी मैन से शुरू किया काम

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समीर ने बताया कि दिल्ली के पास हरियाणा के छोटे से गांव नंदगंज में 2012 में एक बेकरी में डिलीवरी मैन बने। पगार बेहद मामूली थी, लिहाजा वह केक बनाना भी सीखने लगे। कुछ सालों में उन्हें इसमें महारत हासिल हो गई। पांच छह साल वहां काम करने के बाद दिल्ली आ गए। रात में वह पत्नी के साथ मिलकर केक तैयार करते और सुबह साइकिल से दुकानों और ग्राहकों तक पहुंचाते। वर्ष 2020 दिल्ली में रेहड़ी लगाना शुरू ही किया था कि कोरोना की महामारी फैल गई। भागकर गांव आया और यहीं अपना कारोबार शुरू कर दिया है। छोटे से कारोबार से अब गांव के पांच युवकों को जोड़ पाया हूं। सरकार से आर्थिक सहायता मिली तो इसे और बड़ा कर गांव के बेरोजगारों की बेरोजगारी भी दूर करूंगा।

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गांव लौटने के बाद हार नहीं मानी

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समीर का कहना है कि लोग अपनी जरूरत को पूरा करने के साथ ही गांव समाज में रहकर दूसरे को भी रोजगार मुहैया करा सकता है। कोई भी काम कठिन नहीं है। उसे सच्ची लगन से प्रारंभ करने की जरूरत है। महानगर से गांव लौटने के बाद उसने हार नहीं मानी और गांव में कारोबार शुरू किया और आज आत्मनिर्भर निर्भर बन गए हैं।

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