पहले चुनाव में गांव के प्रमुख लोग करते थे बूथ की निगरानी
सहरसा। स्वतंत्र भारत के पहले चुनाव से लेकर कई चुनाव तक गांव के प्रमुख लोग बूथ की निगरानी क
सहरसा। स्वतंत्र भारत के पहले चुनाव से लेकर कई चुनाव तक गांव के प्रमुख लोग बूथ की निगरानी करते थे। किसी भी बूथ पर पुलिस बल नहीं रहता था। लोग निर्भीक होकर एवं बड़े उमंग से आठ से बारह किलोमीटर पैदल चलकर मतदान करने जाते थे। आज हर बूथ पर बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती रहती है। बावजूद लोग दहशत में बूथ पर जाने से कतराते हैं। प्रखंड के सुहथ पंचायत के अर्राहा गांव निवासी रघुनी अमीन ने बताया कि 1935 ई. में मेरे पिताजी ने मेरे नाम से जमीन बंदोबस्ती पर लिया था, उस समय महज हम पांच साल के थे। पहली बार पिता के कंधे पर चढ़कर बूथ पर गये थे। उस समय बूथ पर कोई पुलिस नहीं रहता था, गांव के मुख्य लोग बूथ के निगरानी करते थे। मतदान कर्मियों को लोग काफी इज्जत देते थे। आज का समय बदल गया है, लोग भी बदल गए हैं एवं मतदान कर्मियों भी बदल गए हैं। सबको निजी स्वार्थ होने लगा है। जिसके कारण चुनाव एक कमाई का जरिया बन गया है। ------ नेताओं का जनसंपर्क अभियान होने लगा तेज संसू, सौरबाजार (सहरसा): विधानसभा चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरू होते ही नेताओं का जनसंपर्क अभियान धीरे-धीरे तेज होने लगा है। विभिन्न दलों के प्रत्याशी उनके समर्थक एवं निर्दलीय प्रत्याशी लोगों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए गांव के गलियों में नजर आने लगे हैं। सहरसा विधानसभा का नामांकन कार्य शुरू होने के बाद इस इलाके में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विभिन्न दलों के नेता भी क्षेत्र में पहुंचने लगे हैं।