युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए कृषि शिक्षा आवश्यक : प्राचार्य
भारत कृषि प्रधान देश है। कृषि को मजबूत करने के लिए युवाओं को कृषि शिक्षा के प्रति जागरूक करना होगा। ताकि देश समृद्ध हो सकें।
संसू, सत्तरकटैया (सहरसा)। भारत कृषि प्रधान देश है। कृषि को मजबूत करने के लिए युवाओं को कृषि शिक्षा के प्रति जागरूक करना होगा। ताकि देश समृद्ध हो सकें। उक्त बातें मंडन भारती कृषि महाविद्यालय अगवानपुर द्वारा उत्क्रमित उच्च विद्यालय सिसई में आयोजित राष्ट्रीय कृषि शिक्षा दिवस के अवसर पर युवाओं को संबोधित करते हुये महाविद्यालय के प्राचार्य डा. उमेश सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) एक अहम भूमिका निभा रही है। यह दिवस देश के पहले कृषि मंत्री एवं प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद के जन्म दिवस के अवसर पर मनाए जाता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा विश्व बैंक की सहयोग से राष्ट्रीय कृषि शिक्षा परियोजना की शुरुआत की गई है। जिससे हमारे देश के युवाओं को एक नई दिशा मिलेगी। कृषि शिक्षा दिवस का मुख्य उद्देश्य छात्रों को कृषि शिक्षा के लिए प्रेरित करना, छात्रों को खेती के क्षेत्र में रुचि विकसित करना है। उन्होंने कहा कि आज कई ग्रामीण इलाकों के युवा कृषि की शिक्षा प्राप्त करके इसे रोजगार का माध्यम बना रहे हैं। विभिन्न फल, फूल, सब्जी की खेती, डेयरी, मछली पालन, मधुमक्खी पालन आदि खेती से जुड़े कई ऐसे व्यवसाय हैं जो युवाओं के बीच प्रचलित हो रहे हैं। कार्यक्रम में महाविद्यालय के विज्ञानी डा. महताब राशिद , डा. पंकज कुमार एवं डा. स्नेहा कुमारी आदि ने कृषि शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रम, रोजगार की संभावनाएं तथा कृषि के क्षेत्र में हो रहे नए - नए अनुसंधानों की विस्तृत जानकारी दिया। इस मौके पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक , शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं मौजूद थे।