फरीद का शव पहुंचा नरियार, सभी शव का एक साथ निकलेगा जनाजा

सहरसा। दिल्ली अग्निकांड में मरे नरियार के सात लोगों के शव में से एक फरीद का शव बुधवार

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 06:03 PM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 06:03 PM (IST)
फरीद का शव पहुंचा नरियार, सभी शव का एक साथ निकलेगा जनाजा
फरीद का शव पहुंचा नरियार, सभी शव का एक साथ निकलेगा जनाजा

सहरसा। दिल्ली अग्निकांड में मरे नरियार के सात लोगों के शव में से एक फरीद का शव बुधवार की दोपहर एम्बुलेंस से घर पहुंचा। हादसे के चार दिन बाद नरियार पहुंचे फरीद के शव को देखने के लिए गांव के सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो गई।

लोग फरीद के शव के साथ आए उनके बहनोई निजाकत हुसैन एवं उनके पिता मो अलीम से हादसे की जानकारी सहित आने-जाने में हुई परेशानी व और छह लोगों के शव के बारे में जानकारी लेने में जुटे रहे। शव पहुंचने की सूचना पर प्रखंड विकास पदाधिकारी रचना भारतीय,सीओ कुमारी तोषी, प्रमुख रचना प्रकाश,जदयू नेता अक्षय झा,जिप सदस्य धीरेंद्र यादव सहित अन्य ने पहुंचकर हाल जाना तथा घटना पर दुख प्रकट किया। इस दौरान हादसे में मरे सात लोगों मे से पांच मृतकों के परिजनों को प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी,पंचायत सचिव बालेश्वर सिंह ने पारिवारिक लाभ योजना का चेक सौंपा।

पंचायत सचिव बालेश्वर सिंह ने बताया कि मृतक फरीद के पिता मोहम्मद अलीम,मृतक राशिद की मां नसेरूण खातून, सेजल के मां रुखसाना खातून,ग्यासुद्दीन की मां रुखसाना खातून सहित सुजीन के पत्नी संजूम खातून को परिवारिक लाभ योजना के तहत 20-20हजार रुपए का चेक प्रदान किया गया। शेष दो संजर एवं अफजल का नाम तथा उनके परिजनों का नाम बीपीएल सूची में नहीं रहने के कारण इस लाभ से वंचित रखा गया। अन्य सभी सरकारी सहायता मिलने का भरोसा अधिकारी ने दिलाया।

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सिर पर पालिथीन की छत पर बीपीएल नहीं

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इस घटना में बीपीएल की हकीकत भी सामने आ गयी। जिन दो मृतक के परिजनों को बीपीएल सूची में शामिल नहीं रहने के कारण पारिवारिक योजना के लाभ से वंचित रखा गया उसके घर पर छप्पर तक नहीं है। छप्पर की जगह पालिथीन टांग कर जिदगी काटने वाले परिवार का नाम भी बीपीएल सूची में नहीं रहने के कारण वहां मौजूद लोगों ने इसे गरीबी का मजाक उड़ाना बताया। पारिवारीक योजना के लाभ से वंचित संजर तथा अफजल दोनों के परिजनों को ना घर है ना ठिकाना। दिन कमाते हैं तब रात खाते हैं। घर पर पालिथीन देकर गुजर-बसर करने को मजबूर है परिवार। ऐसे में बीपीएल किन लोगों के लिए है समझ से परे है।

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