साबरमाती आश्रम के स्वरूप बदलने की योजना से गांधीवादी आहत

संस सहरसा रविवार को सर्व सेवा संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रखर जेपी सेनानी महादेव विद्रोही ने कहा कि गांधीवादी सादगी अब सपना हो जाएगा। भारत सरकार द्वारा 1200 करोड़ के लागत से साबरमती आश्रम के मूल स्वरूप को बदलने की योजना ने गांधी वादियों को काफी आहत किया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 07:16 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 07:16 PM (IST)
साबरमाती आश्रम के स्वरूप बदलने 
की योजना से गांधीवादी आहत
साबरमाती आश्रम के स्वरूप बदलने की योजना से गांधीवादी आहत

संस, सहरसा: रविवार को सर्व सेवा संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रखर जेपी सेनानी महादेव विद्रोही ने कहा कि गांधीवादी सादगी अब सपना हो जाएगा। भारत सरकार द्वारा 1200 करोड़ के लागत से साबरमती आश्रम के मूल स्वरूप को बदलने की योजना ने गांधी वादियों को काफी आहत किया है। प्रधानमंत्री की इस परिकल्पना ने विश्वभर में फैले गांधी प्रेमियों को आंदोलित कर रखा है। गांधी जी के पोते ने हाईकोर्ट में एक याचिका भी दर्ज किया था, जो दो दिन पूर्व खारिज हो गई है। अब सरकार वहां माल बनाए, रेस्टोरेंट बनाए या आजादी के संग्रहालय के नाम पर सावरकर की फोटो लगाएं उनकी मर्जी। जबकि यह आश्रम महात्मा गांधी की जीवन शैली तथा जीवन ²ष्टि का जीवंत नमूना है। कहा कि महात्मा गांधी का अत्यंत कम संसाधनों से जीने तथा कार्य की शैली का तथा पर्यावरणीय व चिरंतन आर्थिक शैली का यथार्थ दर्शन इन आश्रम में है । दुनिया भर में ऐसे प्रेरक तथा ऐतिहासिक स्थल को संजोने की गंभीरता बढ़ती गयी है । इनके साथ छेड़छाड़ इतिहास तथा उसके संस्थापक के योगदान के साथ आघात के रूप में देखना स्वभाविक है । उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी तथा भारत की आजादी व नवनिर्माण के इस महानतम केंद्र के साथ छेड़छाड़ का विरोध लोगों ने विभिन्न तरीकों से किया है। महादेव विद्रोही आज प्रखर स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्व विधायक स्वर्गीय परमेश्वर कुंवर के यहां पहुंचे थे। उल्लेखनीय है कि जयप्रकाश आंदोलन में महादेव विद्रोही और पूर्व सांसद आनंद मोहन की गिरफ्तारी कुंवर जी के यहां से ही हुई थी। उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि आंदोलन के दौरान उन लोगों को कितना संघर्ष करना पड़ा। आंदोलन के दौरान शंकर चौक पर बूट पालिश कर चंदा इकट्ठा करना और कूपन छपवा कर उससे चंदा इकट्ठा करना कठिन काम था। लेकिन उन्होंने और उनके साथियों ने बड़े ही उत्साह से संघर्ष को अंजाम दिया। कहा कि उस समय सहरसा मंडल कारा में जेल मंत्री आए। उस समय आनंद मोहन के पास काली लूंगी था, उसी को काला झंडा बनाकर उनका प्रतिरोध किया था। उसके बाद आनंद मोहन, दिनेशचंद्र यादव, मो. जब्बार को भागलपुर जेल भेज दिया गया। कहा कि कुंवर जी का घर और विनोबा आश्रम जयप्रकाश आंदोलन का प्रमुख केंद्र था। छात्रों के आंदोलन से सत्ता परिवर्तन भी हुआ। कहा कि आज की राजनीति सिद्धांत विहीन हो गई है। उन्होंने कहा कि वे फिर मार्च में आएंगे और जयप्रकाश आंदोलन के प्रमुख सेनानियों के साथ बैठकर कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विमर्श करेंगे। मौके पर जेपी सेनानी सुरेंद्र नारायण सिंह, परमेश्वर कुमर के दामाद वीरेंद्र सिंह, अरविद कुमार झा, पिकू विशेष रूप से मौजूद रहे।

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