जल संचय से हो सकता है जल संकट का निदान

सहरसा। गर्मी के दिनों में जल की खपत अधिक बढ़ जाती है। प्रखंड के 47 तालाबों में से बदहाल तालाब

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 06:54 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 06:54 PM (IST)
जल संचय से हो सकता है जल संकट का निदान
जल संचय से हो सकता है जल संकट का निदान

सहरसा। गर्मी के दिनों में जल की खपत अधिक बढ़ जाती है। प्रखंड के 47 तालाबों में से बदहाल तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए सरकारी गैर सरकारी स्तर पर कारगर कदम उठाने की योजना है। बेतरतीब मेड़ वाली एवं सूखे तालाबों को जीवित करने से ही वर्षा जल संचय होगा। तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास धीमी नजर आ रही है। सीओ के स्तर से तालाबों की खोज की गई और इसके जीर्णोद्धार की रूपरेखा बनाई गई है। हालांकि इस पर अमल नहीं हो सका है। बलवा पोखर, तराही पोखर, कासीमपुर पोखर, दिवरा, चंद्रायण पोखर के मेड़ को अतिक्रमण कर लिया गया है। अतिक्रमण का दायरा बढ़ता जा रहा है। जलसंकट की समस्या से निजात पाने में कुंआ भी महत्वपूर्ण स्त्रोत है।

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कुआं का है धार्मिक महत्व

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जल संरक्षण के लिए कुआं की महत्ता काफी बढ़ गई है। प्राचीन व्यवस्था में जल स्त्रोत के रूप में तालाबों, कुआं की बड़ी महत्ता हुआ करती थी। वर्षा जल संचय के साथ पेयजल के लिए कुआं बेहतर साधन हो सकता है। लोगों के आवासीय परिसर के अलावा धार्मिक परिसरों से लेकर सार्वजनिक स्थलों पर लोगों के लिए पेयजल सहित अन्य कार्यों के लिए कुआं का प्रयोग हो रहा है। प्राचीनकाल से ही चली आ रही परम्परा के अनुरूप विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों के क्रम में आज भी कुआं की पूजा या फिर कुआं के निकट अनुष्ठान अनिवार्य होता है।

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वर्षा जल संग्रह पर बल

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वर्षा जल संग्रह को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कोसी सेवा सदन महिषी द्वारा मेघ पाईन अभियान के तहत लोगों को जागरूक किया जा रहा है। वर्षा जल को मटका, घड़ा व अन्य पात्रों में संचय कर उसे स्वच्छ पेयजल बनाने की विधि बताई जाती है। अभियान से जुड़ी बबीता झा ने कहा कि वर्षा जल संचय के लिए हरेक लोगों को घर की छत पर कुछ उपाए किया जाना चाहिए। प्रकृति का अनुपम उपहार जल संचय के हर संभव प्रयास को अमल में लाना होगा। वर्षा जल संचय के साथ इसकी बर्बादी भी रुकेगी। वर्षा के समय छत से लगे पाइप के सहारे नीचे गिरने वाले पानी को विभिन्न पात्रों में संचय कर रख लेना चाहिए। संचित जल का पीने के बजाय अन्य प्रयोग में लाया जा सकता है।

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कोट

तालाब एवं कुआं के जीर्णोद्धार एवं नवीकरण की योजना पंचायत समिति के कार्य योजना में भी शामिल की गई है। कई पंचायतों के ग्राम सभा ने भी जलसंचय योजना को प्राथमिकता दी है।

विवेक रंजन,

बीडीओ, नवहट्टा

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