मक्का की फसल में कीड़े का प्रकोप, असफरों ने की जांच
कई पंचायतों में मक्का की फसल पर कीड़ा का प्रकोप बढ़ गया है जिससे मक्का के खेती पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका से अभी से किसानों में मायूसी छाने लगी है।
सहरसा। कई पंचायतों में मक्का की फसल पर कीड़ा का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे मक्का के खेती पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका से अभी से किसानों में मायूसी छाने लगी है। किसानों की शिकायत पर पौधा संरक्षण विभाग के अधिकारियों ने प्रखंड के कई पंचायतों में मक्का फसल पर लगे कीट की जांच कर किसानों को इसके उपाय बतलाए ।
ज्ञात हो कि कोसी क्षेत्र के किसानों की मुख्य फसल मक्का मानी जाती। कई किसान मक्का फसल बेच अपना गुजर बसर भी करते हैं। गत वर्ष कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में किसानों को मक्का का उचित मूल्य नहीं मिला था, जिस कारण किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा था। कोरोना को प्राकृतिक आपदा मान किसानों ने फिर से हिम्मत कर इस वर्ष भी पूंजी लगा जमकर मक्का का खेती की है। किसानों ने ऊंची कीमत पर उन्नत किस्म का बीज खरीदकर रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कर फसल लगायी। पिछले कुछ दिनों से मक्का के पौधों को कीट प्रकोप बढ़ गया है, जिससे पौधे और मकई की बालिया बर्बाद हो रही है। क्षेत्रीय किसानों द्वारा इसकी शिकायत विभागीय विशेषज्ञों से कर इससे रक्षा की गुहार लगायी गयी। किसानों की मांग पर पौधा संरक्षण विभाग द्वारा टीम बनाकर क्षेत्र भ्रमण कर मक्का में लगे कीट के प्रकोप की जांच की गई। पौधा संरक्षण निरीक्षक अरविद कुमार अमर के नेतृत्त्व में पौधा संरक्षण पर्यवेक्षक कृत्यानन्द कुमार, कृषि समन्वयक कमलेश कुमार एवं चन्द्रदत्त झा ने प्रखण्ड के बघवा, वीरगांव, मनोबर, भेलाही, तेलवा पश्चिमी सहित अन्य पंचायतों का दौरा किया। विशेषज्ञों की टीम ने प्रखण्ड के विरंची यादव, ललन यादव, परमानन्द यादव, मो. निजाम, गंगा साह, नजरुल होदा, फुलेश्वर सहित दर्जनों किसानों के खेत पर जाकर फसल में लगे कीड़ा को देखा। उन्होंने किसानों को इस कीड़ा से बचाव के लिए इमामेकटीन बेंजोएट एवं क्लोरोपैरिफॉस साईपरमेथरीन दवा को पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करने का सलाह दी। वैसे किसानों को अब अपनी फसल बर्बाद होती स्पष्ट दिख रही है। किसानों ने सरकार एवं विभाग से उचित कार्रवाई करने की मांग की है।