विश्व को संस्कृत भाषा की है जरूरत : मंत्री

सहरसा। सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने में संस्कृत भाषा की महती भूमिका है। संस्कृत सभी

By JagranEdited By: Publish:Sun, 06 Jun 2021 07:09 PM (IST) Updated:Sun, 06 Jun 2021 07:09 PM (IST)
विश्व को संस्कृत भाषा की है जरूरत : मंत्री
विश्व को संस्कृत भाषा की है जरूरत : मंत्री

सहरसा। सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने में संस्कृत भाषा की महती भूमिका है। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी रही है। यदि हम संस्कृत भाषा का अध्ययन करते हैं तो भारतीय ज्ञान-विज्ञान में निबद्ध अन्य भारतीय भाषाओं को आसानी से जान सकेंगे।

उक्त बातें रविवार को संस्कृत भारती बिहार प्रांत न्यास के तत्त्वावधान में दस दिवसीय आभासिक संस्कृत सम्भाषण वर्ग ऑनलाइन उद्घाटन समारोह वक्ताओं ने कही। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बिहार सरकार के कला-संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री डॉ. आलोक रंजन ने कहा पूरा विश्व यहां कोरोना महामारी से आतप्त है ,वहां इस विपदा के घड़ी में संस्कृत भारती बिहार के कार्यकत्र्ताओं द्वारा नि:शुल्क संस्कृत सिखाने का जो कार्य किया जा रहा है, वह प्रशंसनीय है। लोगों को इस अवसर का लाभ लेकर संस्कृत बोलने का अभ्यास करना चाहिए। हमारे दैनिक जीवन के अधिकांश शब्द भी संस्कृत निष्ठ होते हैं जिससे हम नित्य प्रयोग करते हैं।

मंत्री ने कहा कि संस्कृत भाषा से लोगों की दूरी बढ़ने के कारण समाज में कुरीतियां बढ़ रही है। जिसे समाप्त करने के लिए यह भाषा उपयोगी सिद्ध होगी।

उद्घाटन समारोह में मुख्य वक्ता संस्कृत भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्रीशदेव पुजारी ने कहा कि संस्कृत को जिस भाषा में मिला के बोलेंगे वह भाषा और भी मधुर हो जाएगी। उन्होंने विभिन्न उदाहरण प्रस्तुत कर बताया कि विश्व की एक मात्र भाषा संस्कृत है जिसमें नूतन शब्द निर्माण की क्षमता है। साथ ही संस्कृत भाषा कठिन है यह संदेह हमें इस प्रशिक्षण से दूर हो जाएगी।

कार्यक्रम में प्रास्ताविक भाषण करते हुए संस्कृत भारती उत्तर बिहार के संघटन मंत्री विवेक कौशिक ने कहा कि संस्कृत सम्भाषण के लिए बिहार के कुल 1296 लोगों ने पंजीकरण किया। सात भागों में इन सभी लोगों को विभक्त कर जिला के अनुसार सभी को अगले दस दिनों तक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए सात-सात शिक्षकों एवं सह शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई है ।

कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंगलाचरण एवं सरस्वती पूजन से हुई। अतिथियों का स्वागत संस्कृत भारती के प्रान्त मंत्री डॉ.रमेश कुमार झा ने किया। ध्येय मंत्र भारतीश्री एवं विद्यासागर झा ने किया। एकल गीत प्रशान्त कुमार झा ने प्रस्तुत किया। संचालन प्रान्त प्रशिक्षण प्रमुख देवनिरंजन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रान्त प्रचार प्रमुख डॉ.रामसेवक झा ने किया।

समारोह में संस्कृत भारती के क्षेत्र मंत्री प्रो.श्रीप्रकाश पाण्डेय, सह मंत्री डॉ.रामेश्वरधारी सिंह, सम्पर्क प्रमुख डॉ.दिप्तांशु भास्कर, अभिषेक द्विवेदी,डॉ.त्रिलोक झा, प्रशिक्षक डॉ.संजीत झा,अंशु कुमारी,डॉ.मनीष झा,संदीप कुमार, गीता देवी,हरिशंकर सिंह, डॉ.विभाकर द्विवेदी,शशिरंजन कुमार सहित सभी प्रशिक्षुगण सम्मिलित थे । वर्ग का संचालन सोमवार से अपने-अपने जिला के समयानुसार संचालित होंगे।

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