सहरसा : आड़े नहीं आई गरीबी, ट्यूशन पढ़ाकर पास की यूपीएससी परीक्षा
सिविल सेवा परीक्षा में सफल रहे मनीष ने सरकारी स्कूल व कालेज से पढ़ाई करने के बाद यूपीएससी की तैयारी सहरसा में रहकर की और ट्यूशन पढ़ाते रहे। आज मनीष पर जिले के लोगों को नाज है।
सहरसा। शहर के नयाबाजार निवासी मनीष के सिर से कम उम्र में ही पिता का साया उठ गया था। मां भी बौद्धिक व आर्थिक रूप से मजबूत नहीं थी, लेकिन कहते हैं कि डूबते को तिनके का सहारा मिल गया। मनीष को मानस पिता व माता श्रीवास्तव दंपती के रूप में बचपन में ही मिल गया था। उनके सहयोग से मनीष की पढ़ाई में गरीबी आड़े नहीं आई। सरकारी स्कूल व कालेज से पढ़ाई करने के बाद यूपीएससी की तैयारी सहरसा में रहकर की और ट्यूशन पढ़ाते रहे। आज मनीष पर जिले के लोगों को नाज है। उन्हें यूपीएससी में 581वीं रैंक मिली है।
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दवा दुकान में काम करते थे पिता
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मनीष कुमार मूल रूप से सारण जिले के दाउदनगर थाना अंतर्गत बतराहा गांव के रहने वाले हैं। पिता मुसाफिर सिंह सहरसा आ गए तो बचपन से ही यहां रहने लगे और सहरसा के ही हो गए। मनीष ने बताया कि उनके पिता दवा दुकान में सेल्समैन का काम करते थे। जब उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की, उसी समय वर्ष 2010 में पिता का निधन हो गया। दो भाई व एक बहन में बड़े मनीष के सिर से पिता का साया उठने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पढ़ाई जारी रखी। इसमें इनके मानस पिता डा. कमल किशोर श्रीवास्तव, माता रेणु श्रीवास्तव एवं भाई डा. अखिलेश श्रीवास्तव का सहयोग मिला। उनके घर में ही पले-बढ़े मनीष को श्रीवास्तव दंपती से मां व पिता का प्यार मिलता रहा। अपनी मां उषा देवी श्रीवास्तव दंपती के घरेलू कार्य में सहयोग करती रहीं।
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सरकारी स्कूल व कालेज में की पढ़ाई
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मनीष ने बताया कि मध्य विद्यालय न्यू कालोनी से प्राथमिक शिक्षा, जिला स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में पास करने के बाद एसएनएसआरकेएस कालेज से इंटर व स्नातक की शिक्षा ग्रहण की। इस दौरान ट्यूशन पढ़ाते रहे और सेल्फ स्टडी कर संघ लोक सेवा आयोग ((यूपीएससी) की तैयारी करते रहे। इन्होंने अपनी मेहनत के दम पर बिना कोई कोचिग लिए पहले ही प्रयास में यूपीएससी में सफलता हासिल कर 581वां रैंक पाया। इनके इस सफलता पर भाई अनीश कुमार, बहन मनीषा सिंह, मानस पिता व मां समेत अन्य ने खुशी जताई है। मनीष का मानना है कि मंजिल पाने का जज्बा हो तो सबकुछ आसान हो जाता है।