लॉकडाउन में पंडितों के सामने विकट हुई समस्या
सहरसा। कोरोना वायरस को लेकर लागू लॉकडाउन एवं अनलॉक ने हर तबके को प्रभावित किया है।
सहरसा। कोरोना वायरस को लेकर लागू लॉकडाउन एवं अनलॉक ने हर तबके को प्रभावित किया है। पिछले चार-पांच महीनों से मंदिरों में ताला लगने एवं आम लोगों के पूजा-पाठ पर लगी पाबंदियों से मंदिर की आमदनी जीरो हो गई है।
मार्च के अंतिम सप्ताह से ही लॉकडाउन के कारण सभी मंदिरों, मस्जिदों सहित धार्मिक स्थल पर आम लोगों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गयी थी। जिले के ऐतिहासिक स्थलों, सिद्धपीठों, मंदिरों के मुख्यद्वार पर ताला लगा दिया गया। मंदिरों में सिर्फ पंडितों को ही सुबह-शाम देवी-देवताओं की आरती और पूजन करने की अनुमति दी गई थी। जिसके कारण पंडित सुबह-शाम मंदिर में भगवान की पूजा अर्चना में ही जुटे रहे। मंदिरों में आमलोगों की पाबंदी से मंदिर की आमदनी रुक गई। आमदनी रुकते ही पंडित की आमदनी बंद हो गई। पहले तो मंदिर समिति द्वारा भी पंडित को माहवार आमदनी दी जाती थी और पंडित को ऊपर से आनेवाले श्रद्धालुओं से आमदनी हो जाती थी। लेकिन वह सबकुछ बंद हो गया। जिस कारण पंडितों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। पहले हर लगन में मंदिरों में शादी-ब्याह होता था लेकिन लॉकडाउन के कारण सब बंद हो गया। जिले में मुख्य ऐतिहासिक स्थल व सिद्धपीठ को छोड़कर करीब एक सौ से ज्यादा मंदिर है। पुजारी विजय चौबे बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले ही बेटी की शादी की। शादी में कर्जा हो गया। सोचा जल्दी ही सबको चुका देंगे। लेकिन उसके बाद तो लाकडाउन ही हो गया। ऐसे में अब खाएंगे क्या और कर्ज कैसे चुकाएंगे, यह सोच-सोचकर दिन कट रहा है। भगवान ऐसा दिन दिखाएगा, कभी सोचा ही नहीं था। अब तो पेट चलाना भी मुश्किल से चल रहा है, लेकिन सरकार कुछ नहीं सोचती है।
एक पंडित ने कहा कि घर-घर जाकर सत्य नारायण भगवान की पूजा कराकर मेरा परिवार उसी से चलता था। लेकिन अब लॉकडाउन लगने के बाद पूजा कराने कोई नहीं बुलाता है। अब तो लोग घरों मे भी अपने से ही पूजा- पाठ करने लगे हैं। ऐसे में पडितों को कोई पूछने वाला नहीं है।