सहरसा में जाम ले रहा जान, नहीं कोई समाधान
शहर में जाम लगने से लोगों की जिदगी दांव पर लगी हुई है। जाम में फंसकर कई लोगों की मौत हो चुकी है।
सहरसा। शहर में जाम लगने से लोगों की जिदगी दांव पर लगी हुई है। जाम में फंसकर कई लोगों की मौत हो चुकी है। समय पर इलाज की सुविधा नहीं मिलने के कारण लोग एंबुलेंस में ही दम तोड़ देते हैं। शहर के मुख्य बाजारों में घंटों जाम लगने से मरीज के जान पर बन आती है। सहरसा शहर में मुख्य बाजार होकर रेल गुजरी है। जिसके कारण शहर के अति व्यस्ततम बाजार बंगाली बाजार एवं गंगजला रेलवे ढाला पर बैरियर गिरे रहने से हर हमेशा सड़क जाम लगा रहता है। रेलवे ढाला का बैरियर गिरते ही कुछ ही मिनटों में सड़क के दोनों ओर लंबी वाहनों की कतार लग जाती है। ऐसे में पैदल राहगीर सहित अन्य दो पहिया वाहन भी जाम की चपेट में आ जाता है। जाम में अक्सर एम्बुलेंस सहित आम मरीज फंस जाते हैं। इलाज में हो रहे विलंब से गंभीर रोग से ग्रसित मरीजों के समक्ष जान पर बन आती है। ट्रेन की शंटिग करने की अनिवार्यता ही जाम लगने का मुख्य कारण बनता जा रहा है। कई बार लोगों ने जाम की समस्या से निजात दिलाए जाने के लिए रेल और जिला प्रशासन को पत्र लिखा है।
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केस स्टडी
1. शहर के पटुआहा निवासी मु. परवेज के पिता मु. जब्बार के साथ मारपीट की घटना घटित हुई थी। इस मामले में आरोपित ने मु. जब्बार का गर्दन तोड़ दिया। घरवालों ने उसे आनन फानन में सहरसा बस्ती से उठाकर अस्पताल लाया जा रहा था कि गंगजला रेलवे ढाला पर बैरियर गिरे रहने से जाम में करीब एक घंटा फंसा रह गया। मु. परवेज ने बताया कि जाम में फंसे रहने के कारण समय पर इलाज शुरू नहीं होने से मेरे पिता की मौत रास्ते में ही हो गयी। जाम में करीब एक घंटा तक फंसा रहा।
2. इससे कुछ साल पहले शहर के गंगजला निवासी शिक्षक रौशन सिंह धोनी के पिता की हालत गंभीर होने पर उसे इलाज के लिए ले जाया जा रहा था। गंगजला रेलवे ढाला पर ही फंसे एम्बुलेंस में ही उनकी मौत हो गयी।