प्रवासी श्रमिक खोलेंगे कोसी के लिए विकास का द्वार

सहरसा। बाढ़ प्रभावित सहरसा जिले में उद्योग धंधा नहीं रहने के कारण यहां के मजदूर वर्ष में

By JagranEdited By: Publish:Fri, 31 Jul 2020 04:42 PM (IST) Updated:Fri, 31 Jul 2020 04:42 PM (IST)
प्रवासी श्रमिक खोलेंगे कोसी 
के लिए विकास का द्वार
प्रवासी श्रमिक खोलेंगे कोसी के लिए विकास का द्वार

सहरसा। बाढ़ प्रभावित सहरसा जिले में उद्योग धंधा नहीं रहने के कारण यहां के मजदूर वर्ष में दो चक्र में छह महीना दूसरे प्रांतों में जाकर रोजी कमाते रहे हैं।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में 12 फीसद यानि दो लाख 40 हजार के करीब मजदूर हैं जिनमें से करीब 60 हजार कुशल श्रमिक भी हैं। इस वर्ष गेहूं की कटनी के समय ही कोरोना संक्रमण प्रारंभ होने के कारण अधिकांश मजदूर बाहर जाने की तैयारी में ही रह गए। वहीं जो प्रवासी श्रमिक दूसरे प्रदेश से लौट आए हैं, इसे रोजगार से जोड़ने की कवायद चल रही है। इससे इन श्रमिकों को जहां स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा, वहीं इन लोगों को विभिन्न तरह का रोजगार उपलब्ध कराने से इलाके के समग्र विकास की भी संभावना बन रही है। इसके लिए जिला प्रशासन कई तरह की रणनीति बना रहा है।

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कुशल श्रमिकों के लिए 70 लाख की लागत से बनेगा सात कलस्टर सेंटर

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कुशल मजदूरों को समूह में काम उपलब्ध कराने के लिए जिले को राज्य सरकार से जहां पचास लाख रुपये प्राप्त हुआ, वहीं वुडको ने 20 के लाख की लागत से दो कलस्टर बनाए जाने की तैयारी है। कुल मिलाकर बहरहाल सात प्रखंड में कलस्टर सेंटर बनाने की तैयारी चल रही है। जिला प्रशासन ने इसके लिए पतरघट, नवहट्टा, सत्तर कटैया व सौरबाजार प्रखंड के लिए बढ़ईगिरी व सिलाई- कटाई के लिए पांच ग्रुप तैयार कर लिया है। कलस्टर बनते ही इनलोगों को सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी और उनके द्वारा तैयार लकड़ी के सामान और कपड़े के बिक्री की भी व्यवस्था की जा रही है, ताकि इनलोगों को अनवरत काम मिलता रहे।

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शहतूत उत्पादन को दिया जाएगा बढ़ावा

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जिला प्रशासन ने मनरेगा, रेशम बोर्ड और उद्योग विभाग के समन्वय से शहतूत उत्पादन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। जीविका दीदियों द्वारा मास्क निर्माण के जरिए दो करोड़ का व्यवसाय किया है। इसके अलावा इनलोगों को विभाग स्तर से शहतूत उत्पादन के लिए कई तरह की सहायता दी जाएगी, तथा इसके कुकुन की विक्री का भी प्रबंध किया जा रहा है, ताकि शहतूत उत्पादन में जीविका दीदियां व आम लोगों की रुचि बढ़ सके।

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सुनियोजित तरीके से होगा मखाना व मछली का व्यवसाय

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इस इलाके में अनियोजित तरीके से हजारों हेक्टेयर जलक्षेत्र में मखाना की खेती होती है। उद्यान विभाग ने बेहतर किस्म के सबौर वन मखाना के उत्पादन के लिए किसानों का अनुदान एवं तकनीकी सहायता देने का निर्णय लिया है। विभाग की योजना है, कि कोसी के सीपेज वाले एरिया जहां कोई खेती नहीं हो पाती है उसका उपयोग मखाना और मछली उत्पादन के लिए किया जाएगा। मत्स्य विभाग ने मत्स्यपालन की अन्य योजनाओं के संचालन के साथ-साथ कोसी की मोई मछली का ब्राडिग करने का निर्णय लिया है, ताकि अन्य बाजार में इसकी महत्ता बताकर व्यवसाय को बढ़ाया जा सके। सहकारिता विभाग द्वारा आइसीडीपी योजना योजना के तहत मखाना का प्रोसेसिग प्लांट बैठाने के लिए प्रयासरत है।

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मनरेगा व अन्य कायों में बढ़ाई जाएगी मजदूरों की सहभागिता

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जिला प्रशासन ने मनरेगा, सात निश्चय, हर घर नल का जल, सरकारी भवनों के निर्माण आदि में जहां मजदूरों को रोजगार देने और मानव दिवस सृजन का दायरा बढ़ाने की योजना बनाई है, वहीं उद्योग विभाग और बैंकों को बेवजह आपत्ति लगाने के बजाय प्रवासियों के कौशल और इच्छानुसार सरकारी सहायता दिलाने का निर्देश डीएम स्तर से दिया गया है।

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स्थानीय स्तर पर भी रोजगार की काफी संभावनाएं है। प्रवासी मजदूरों का निबंधन कर उनके कौशल के अनुसार काम उपलब्ध कराने की हर स्तर पर तैयारी चल रही है। काम की इच्छा रखने वाले दैनिक मजदूरों को भी काम उपलब्ध कराया जा रहा है।

कौशल कुमार,

जिलाधिकारी, सहरसा।

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