श्रम कानून में बदलाव के खिलाफ मजदूर संगठनों ने किया प्रदर्शन
सहरसा। श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन राष्ट्रीय संसाधनों और संपत्तियों को सरकार क
सहरसा। श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन, राष्ट्रीय संसाधनों और संपत्तियों को सरकार के चहेते उद्योगपतियों के हवाले करने एवं अन्य मांगों को लेकर शुक्रवार को श्रम संगठनों ने शहर में जुलूस निकाला और समाहरणालय पर प्रदर्शन किया। इन संगठनों द्वारा जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मांगों से संबंधित ज्ञापन समर्पित किया।
इंटक के प्रांतीय नेता केशर कुमार सिंह, जिलाध्यक्ष सत्यनारायण चौपाल, एटक जिलामंत्री प्रभुलाल दास और सीटू के जिलामंत्री नसीमउद्दीन के नेतृत्च में हुए प्रदर्शन के माध्यम से मजदूर नेताओं ने सरकार की श्रम नीति की आलोचना की। इन नेताओं ने कहा कि लॉकडाउन एवं अनलॉक दोनों ही स्थिति में सबसे अधिक पीड़ित देश के मेहनतकश लोगों व जरूरतमंद परिवारों को सीधे भोजन, सहायता उपलब्ध कराने की मांगों की। लेकिन इसकी अनदेखी करते हुए प्रधानमंत्री के इशारे पर श्रम कानूनों में भारी बदलाव किया जा रहा है। इन बदलाव से मजदूरों की नौकरी की सुरक्षा समाप्त हो जाएगी। लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों को वेतन भुगतान और उनके रोजगार की सुरक्षा के लिए सरकार के निर्देशों का खुल्लम-खुला उल्लंघन हो रहा है। लॉकडाउन के दौरान करोड़ों मजदूरों एवं स्वरोजगारियों की रोजी-रोटी छीनी गई, परंतु वैकल्पिक व्यवस्थाओं के बारे में सरकार की घोषणा सिर्फ अखबारों तक सीमित है। मजदूर संगठनों ने मांग पत्र के माध्यम से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने, लोक उपक्रमों में वर्षों से कार्यरत दैनिक, संविदा, आउटसोर्स एवं आकस्मिक कर्मियों की सेवा नियमित करने, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में समान काम के लिए समान वेतन देने, घर लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार सुनिश्चित कराने, बिहार में बंद चीनी मिलों व अन्य मिलों को चालू करने की मांग की गई। मौके पर दिलीप कुमार, अरूण चौपाल, मुकेश कुमार यादव, बुधन शर्मा, उमेश चौधरी, बीरेन्द्र दास, धर्मेन्द्र शर्मा, सोमेसर राय, दिलीप कुमार शर्मा, मो. सलाम, मो. असलम, मो. कमरूद्दीन, बबलू दास, पवन दास, अशोक कुमार तांती आदि मौजूद रहे।