मजदूरों के साथ बच्चों का भी शुरू हो गया पलायन

सहरसा। कोरोना संक्रमण के दौरान दूसरे प्रदेश से जिले के 48 हजार मजदूर वापस आ गए। इन मजदूर

By JagranEdited By: Publish:Thu, 18 Jun 2020 06:24 PM (IST) Updated:Thu, 18 Jun 2020 06:24 PM (IST)
मजदूरों के साथ बच्चों का भी शुरू हो गया पलायन
मजदूरों के साथ बच्चों का भी शुरू हो गया पलायन

सहरसा। कोरोना संक्रमण के दौरान दूसरे प्रदेश से जिले के 48 हजार मजदूर वापस आ गए। इन मजदूरों को कोविड-19 के प्रावधान के तहत क्वारंटाइन किया गया। कोविद पोर्टल पर डाटा इंट्री की गई। परंतु रोजगार दिए जाने की गति संतोषजनक नहीं है। जबकि पंजाब, हरियाणा समेत अन्य प्रदेशों में मजदूरी की कमी के कारण कृषि कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इस समस्या से समाधान के लिए दूसरे प्रदेशों से मजदूरी दर दोगुना से भी अधिक बढ़ा दिया गया और पेट की आग बुझाने के लिए मजदूरों का पलायन शुरू हो गया। इन मजदूरों के बसों से बड़ी संख्या में बाल मजदूरों का भी पलायन होने लगा है। स्वयंसेवी संस्थाओं ने सरकार और प्रशासन को आवेदन भेजकर जिले से लगभग छह सौ बाल मजदूरों के पलायन का दावा किया है। अगर जिला प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो इलाके से हजारों बच्चे दूसरे प्रदेश में अपनी जिदगी बर्बाद करने के लिए विवश हो जाएंगे।

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अनलॉक वन का फायदा उठा रहे है बाल मजदूरों के दलाल

गरीबी व अशिक्षा का फायदा उठाकर पहले भी इलाके के बच्चों को दलाल दूसरे प्रदेश ले जाते थे, जहां इन बच्चों को बंधुआ मजदूरों सा जीवन बसर करना पड़ता है। लॉकडाउन के दौरान पहले से कई प्रदेशों में बाल मजदूर फंसे रह गए,वहीं अनलॉक वन का फायदा उठाकर दलाल कम मजदूरी पर काम कराने के लिए बच्चों को लेकर जा रहे हैं। पूर्व में रेल व बस मार्ग से बच्चों को ले जाने में थोड़ी परेशानी होती थी। इन जगहों पर धावा दल और पुलिसकर्मियों द्वारा बच्चों को ले जाने पर रोक- टोक किया जाता है। गांव से ही सीधे बंद बसों से इनलोगों को ले जाने में दलालों को भी कोई परेशानी नहीं हो रही है। दलाल किस्म के लोग अशिक्षित गरीब लोगों को चिकनी चुपड़ी बातों में फंसा कर ले जा रहा है। इस तरह वर्षों पूर्व में गए दर्जनों बच्चे अबतक वापस नहीं लौटे, दलाल बच्चों के अभिभावक को कोई संतोषजनक उत्तर भी नहीं दे रहा है। ऐसे में एकबार फिर जिले से भेजे जा रहे बाल मजदूरों के बंधुआ मजदूर बनने की संभावना बन गई है।

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छह से अधिक बच्चों के पलायन का किया जा रहा है दावा

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बचपन बचाओ आंदोलन के प्रदेश पुनर्वास संयोजक घुरण महतो ने जिला पदाधिकारी एवं मुख्यमंत्री को जो आवेदन भेजा गया है,उसमें जिले के छह सौ से अधिक बच्चों के पलायन का दावा किया गया है। बचपन बचाओ आंदोलन ने उदाहरण के तौर पर महिषी प्रखंड अन्तर्गत धनौज के विलास सादा के 13 वर्षीय पुत्र दिलचन सादा, रामसादा के 12 वर्षीय पुत्र जुलिस सादा, पंकज सादा के 14 वर्षीय पुत्र बालो सादा, जयराम सादा के 15 वर्षीय पुत्र अकलू सादा और 13 वर्षीय छोटू सादा समेत दर्जनों बच्चों का जिक्र भी किया है। संगठन ने धर्मपुर पस्तपार, मोहनपुर, साहपुर समेत कई गांवों से बच्चों के पलायन का दावा किया है।

महिषी प्रखंड के धनौज, धर्मपुर, पस्तपार, नवहट्टा के मोहनपुर आदि गांवों से बड़ी संख्या में छोटे बच्चे भी मजदूरी के लिए बाहर चले गए।

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बच्चो का पलायन एक गंभीर मामला है। इस ओर विभाग की ओर से जांच कर त्वरित कार्रवाई की जाएगी। साथ आगे इस पर पूरी नजर रखी जाएगी।

उज्जवल पटेल

श्रम अधीक्षक, सहरसा।

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