लॉकडाउन में बच्चों को नहीं मिली पुस्तकें
सहरसा। जिले में लॉकडाउन के कारण सरकारी स्कूलों में अध्ययसहरसा। जिले में लॉकडाउन के कारण सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को पाठ्य पुस्तक नहीं मिल पाई है। जिले में 1275 प्रारंभिक स्कूलों में करीब पौने चार लाख बच्चे नामांकित है जो बिना पाठ्य पुस्तक के ही पढ़ने को मजबूर हैं। पिछले तीन माह से जिले के सरकारी और गैर सरकारी स्कूल बंद पड़े हुए हैं।नरत बच्चों को पाठ्य पुस्तक नहीं
सहरसा। जिले में लॉकडाउन के कारण सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को पाठ्य पुस्तक नहीं मिल पाई है। जिले में 1275 प्रारंभिक स्कूलों में करीब पौने चार लाख बच्चे नामांकित है, जो बिना पाठ्य पुस्तक के ही पढ़ने को मजबूर हैं। पिछले तीन माह से जिले के सरकारी और गैर सरकारी स्कूल बंद पड़े हुए हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई स्कूल में पूरी तरह बंद हो गयी है। कोरोना काल में शिक्षा विभाग ने स्कूल बंद रहने की स्थिति में अब ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की है। लेकिन पाठ्य पुस्तक नहीं मिलने से आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। ऑनलाइन शिक्षा तो आर्थिक रूप से मजबूत परिवार के बच्चे तो आसानी से एंड्रायड मोबाइल खरीदकर ग्रहण कर रहे है लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को मोबाइल खरीदने के लिए पैसे नहीं है तो वे मन मसोस कर रह जाते है। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने तो आनलाइन ही ई लाइब्रेरी की व्यवस्था शुरू कर दी है जिसके अनुसार वर्ग एक से लेकर 12 वीं तक के बच्चे पाठय पुस्तक से संबंधित पाठय सामग्री को अपलोड कर सकते है। --------------------
कोरोना काल को लेकर पाठ्य पुस्तक उपलब्ध नहीं हो पायी है। बच्चों को आनलाइन शिक्षा दी जा रही है। जिले में करीब 60 हजार से अधिक बच्चे आनलाइन शिक्षा ग्रहण कर रहे है। पिछले दो वर्षों से पाठ्य पुस्तक की राशि बच्चों को नहीं मिल रही है।
जियाउल होदा खां, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, सर्व शिक्षा अभियान