अब सिघाड़ा फल को मिलेगी राष्ट्रीय पहचान

सहरसा। कोसी क्षेत्र में तटबंध के पूर्वी भाग में सालोंभर जलजमाव रहता है। इन क्षेत्रों के अलावा र

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 06:22 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 06:22 PM (IST)
अब सिघाड़ा फल को मिलेगी राष्ट्रीय पहचान
अब सिघाड़ा फल को मिलेगी राष्ट्रीय पहचान

सहरसा। कोसी क्षेत्र में तटबंध के पूर्वी भाग में सालोंभर जलजमाव रहता है। इन क्षेत्रों के अलावा रेलवे लाइन के बगल में सुलिंदाबाद, दिवारी, सिटानाबाद से लेकर सलखुआ तक सिघाड़ा फल (जल फल) की खेती होती है। उद्यान निदेशालय ने गत वर्ष ही इसके लिए संभाव्यता रिपोर्ट की मांग की थी। विभाग द्वारा जिले में लगभग दो सौ बीस हेक्टेयर में अनियोजित तरीके से सिघाड़ा की खेती होने का रिपोर्ट दिया था। उद्यान विभाग इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को अनुदान और तकनीकी जानकारी देने के साथ पाउडर तैयार कराने की रणनीति बना रहा है। इस बीच कोरोना संक्रमण के दौरान भारत सरकार द्वारा विशेष पैकेज दिए जाने से कोसी क्षेत्र में इसकी खेती को बढ़ावा दिए जाने की संभावना काफी बढ़ गई है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस इलाके में सिघाड़ा की खेती को बढ़ावा मिलेगा, साथ प्रसंस्करण इकाई भी स्थापित किया जाएगा। जहां सिघाड़ा फलों का पावडर तैयार कर और पैकेजिग कर देश के विभिन्न शहरों में भेजा जाएगा। इससे इलाके के किसानों की आमदनी बढ़ेगी और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।

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स्वास्थ्य की ²ष्टि से काफी फायदेमंद है सिघाड़ा फल

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सिघाड़ा ऐसा फल है, जिसमें पोषक तत्वों से मैग्नीज ग्रहण करने की क्षमता होती है। सिघाड़े का नियमित सेवन करने से शरीर में मैग्नीज की कमी नहीं हो पाती है, और शरीर हेल्दी बनता है। सिघाडें के पाउडर में मौजूद स्टार्च कमजोर लोगों के लिए वरदान साबित होता है। चिकित्सक डा. विनय कुमार सिंह कहते हैं कि इसके लगातार सेवन से शरीर में शक्ति मिलती है। इसमें पानी की अत्यधिक मात्रा होती है, जिसमें केलौरी कम होती है, साथ ही यह फेट फ्री होता है। यह न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होता है, बल्कि शरीर के आंतों, आखों के लिए फायदेमंद होता है। इससे कफ और थाईराईड को कम किया जा सकता है। यह गर्भवती महिलाओं के लिए भी काफी फायदेमंद है।

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व्रतों में सिघाड़ा पाउडर की काफी होती है मांग

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सिघाड़ा फल के आटा अथवा पाउडर का उपयोग व्रत में खाने के लिए होता है। चूंकि महानगरों में इसका फल आसानी से नहीं मिल पाता। इसलिए देश के अनेक हिस्से में नवरात्रि, शिवरात्रित एकादशी के समय इसके पाउडर की मांग होती है। इसके पावडर से हलुआ, मिठाई आदि भी बनाया जाता है। उम्मीद किया जा रहा है कि कृषि के क्षेत्र में विशेष पैकेज मिलने से कोसी क्षेत्र में मखाना के साथ- साथ सिघाड़ा फल का उत्पादन बढ़ाने, इसका पाउडर तैयार करने और पैकेजिग कर देश के विभिन्न शहरों में भेजने की व्यवस्था होगी, इससे सिघाड़ा फल को राष्ट्रीय पहचान मिलेगी।

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कोसी क्षेत्र में सिघाड़ा फल के व्यापक उत्पादन की संभावना है। इलाके में हजारों एकड़ जलप्लावित भूमि यूं ही बेकार पड़ी रह जाती है। इसकी खेती होने से इस जमीन की उपयोगिता भी बढ़ेगी और क्षेत्र का आर्थिक उन्नयन भी होगा। इसके लिए सरकार को संभाव्यता रिपोर्ट भेजी गई है।

संतोष कुमार सुमन

सहायक निदेशक उद्यान।

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