बाढ़ आने से पूर्व महिलाओं और बच्चों को बाहर भेज देते हैं लोग

सहरसा। बहुरवा की सुलेखा देवी बाढ़ का समय आते ही अपने मायके दो बच्चों के साथ पहुंच गई लेि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 07:58 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 07:58 PM (IST)
बाढ़ आने से पूर्व महिलाओं और
बच्चों को बाहर भेज देते हैं लोग
बाढ़ आने से पूर्व महिलाओं और बच्चों को बाहर भेज देते हैं लोग

सहरसा। बहुरवा की सुलेखा देवी बाढ़ का समय आते ही अपने मायके दो बच्चों के साथ पहुंच गई, लेकिन बाढ़ की यातना से अधिक उसे अपने मायके में भी दुत्कार सुनना पड़ा। भाई और भौजाई की उलाहना सुनकर भी वह बस बाढ़ का समय बीतने का इंतजार कर रही है। वो कहती है कि वो बेबस है। इस कारण वह मायके के लोगों की उलाहना भी सुनकर रह रही है। ऐसी सिर्फ एक सुलेखा नहीं है बल्कि कई ऐसी महिलाएं जो मायके जाती है, उसे तीन माह वहां रहना भी मुश्किल हो जाता है। उसकी सबसे बड़ी वजह मायके की खराब माली हालत भी मानी जाती है।

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केस एक

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तरही की मालती देवी बाढ़ के दौरान अपने तीन बच्चों के साथ मायके चली गई थी। मायके में सम्मान नहीं मिलने के कारण उसे तीन माह काटना मुश्किल हो रहा था जिसके बाद वह बच्चों के साथ अपने पति के पास पंजाब चली गई। गांव में सास-ससुर ही रह गये थे। उस समय मालती ने कहा कि बाढ़ के कारण न तो घर में चैन से रह सकते हैं और न ही कोई रिश्तेदार ही मदद को आगे आते हैं।

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केस दो

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अपने दूधमुंहे बच्चे के साथ बाढ़ राहत शिविर में गत वर्ष रह रही बिरजाइन की पार्वती देवी ने बताया कि उनके पति बाहर मजदूरी करते हैं। बाढ़ आने वाला था तो मायके चले गये, लेकिन वहां भौजाई रहने नहीं दी। बीस दिन बाद ही वापस आ गये और बाढ़ राहत शिविर में रह रहे हैं। कहा कि बाढ़ की टीस के बीच अपनों से भी टीस मिलती है तो जीना मुश्किल हो जाता है।

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क्या कहते हैं लोग

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फोटो: 16 एसएआर 1

बाढ़ के दौरान आवागमन की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जिस कारण बच्चे के बीमार पड़ने पर इलाज कराना मुश्किल हो जाता है। जिस कारण बच्चों को उसकी मां के साथ लोग मायके भेज देते हैं। लेकिन मायके वाले भी अब नहीं रखना चाहते हैं। क्योंकि हर साल की यह कहानी रहती है। जिस कारण लोग बच्चे व पत्नी को शहर में भाड़े का घर लेकर रखते हैं।

समी अहमद, कुंदह

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फोटो: 16 एसएआर 2

बाढ़ तो नियति बन चुकी है। संपन्न लोग शहरी क्षेत्र में अपना घर बना लिए हैं। जिस कारण बाढ़ के दौरान घर की महिलाएं, बुजुर्ग व बच्चों को शहर भेज देते हैं।

अकील अहमद

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फोटो: 16 एसएआर 3

मजदूर तबके के लोग बाढ़ का समय आते ही अपने पूरे परिवार को लेकर दूसरे राज्य पलायन कर जाते हैं। बाढ़ का समय बीतने के बाद पत्नी व बच्चों को यहां छोड़ जाते हैं।

अनिल पासवान, बलिया

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फोटो: 16 एसएआर 4

बाढ़ के दौरान यहां रहना मुश्किल हो जाता है। बाढ़ हर साल तबाही मचाती है। जिस कारण लोग बच्चों को तटबंध से बाहर अपने रिश्तेदार के यहां या फिर शहरी क्षेत्र में किराये का कमरा लेकर रखते हैं। बाढ़ समाप्त होते ही ले आते हैं।

मु. जिबरील

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फोटो: 16 एसएआर 5

बाढ़ का नाम सुनते ही इस इलाके के लोग सिहर उठते हैं। बच्चों और महिलाओं को मायके भेज देते हैं या अपने साथ परदेश लेकर चले जाते हैं। ताकि उनके परिवार का जीवन सुरक्षित रहे।

अनवार आलम, संयोजक, कोसी पीड़ित संघर्ष मोर्चा

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कोट

बाढ़ को लेकर प्रशासन द्वारा व्यापक तैयारी की गई है। स्वास्थ्य, पेयजल, पशुचारा समेत अन्य सभी प्रकार की व्यवस्था की जा रही है। सरकारी नाव का परिचालन होगा। इसके अलावा कटाव निरोधी कार्य भी चल रहा है।

कौशल कुमार, डीएम, सहरसा।

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